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मंगलवार, 21 जुलाई 2015

bagheli kavitaहमी जातिवाद का खाँचा न देखाबा।

मुक्तक 

हमी जातिवाद का खाँचा न देखाबा। 
जनता का नफरत का तमाचा न देखाबा। । 
य देस देखे बइठ है महाभारत के युयुत्स का 
अपने वफादारी का साँचा न देखबा। । 
हेमराज हंस ---9575287490 

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पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।।

 जे मंदिर कै हमरे खंडित मरजाद कइ रहे हें।  पबरित   परसाद    भंडासराध   कइ  रहे  हें।।  उनहीं   पकड़  के  सीधे  सूली  मा  टांग  द्या  हमरे  धर...