मुक्तक
हमी जातिवाद का खाँचा न देखाबा।
जनता का नफरत का तमाचा न देखाबा। ।
य देस देखे बइठ है महाभारत के युयुत्स का
अपने वफादारी का साँचा न देखबा। ।
हेमराज हंस ---9575287490
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
जे मंदिर कै हमरे खंडित मरजाद कइ रहे हें। पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।। उनहीं पकड़ के सीधे सूली मा टांग द्या हमरे धर...
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