यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 23 जुलाई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : पै न कह्या हरामी भाई। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : पै न कह्या हरामी भाई। ।: बघेली गजल  ठोंका तुहू सलामी भाई।  भले देखा थी खामी भाई। ।  केत्तव मूसर जबर होय पै  वमै लगा थी सामी भाई। ।  सत्तर साल के लोक तंत्...

कोई टिप्पणी नहीं:

पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।।

 जे मंदिर कै हमरे खंडित मरजाद कइ रहे हें।  पबरित   परसाद    भंडासराध   कइ  रहे  हें।।  उनहीं   पकड़  के  सीधे  सूली  मा  टांग  द्या  हमरे  धर...