बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
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रविवार, 5 जुलाई 2015
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बघेली लोक साहित्य जब से मूड़े मा कउआ बइठ है। अशगुन लये बऊआ बइठ है। । इंदिरा आवास कै क़िस्त मिली ही वा खीसा मा डारे पउआ बइठ ...
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पहिले जब खड़े होकर लघु शंका करना निषिद्ध माना जाता था। तब की बात है।एक बालक खड़े होकर लघुशंका कर रहा था। गांव के एक बुजुर्ग ने देखा तो उसे...
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BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli kavita नाती केर मोहगरी ''आजा'' जुगये आस कै... : बघेली कविता www.baghelisahitya.co...
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बघेली लोक साहित्य -------------------------- पहिले भइलो अईना देखा। धौं पुन आपन धइना देखा। । चश्मा केर पोंछि के धूधुर जनत...
पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।।
जे मंदिर कै हमरे खंडित मरजाद कइ रहे हें। पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।। उनहीं पकड़ के सीधे सूली मा टांग द्या हमरे धर...
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