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शनिवार, 7 मार्च 2015

जो गद्दारों की रिहाई खुले आम करते हैं। ।

मुक्तक 

वे उनकी देश भक्ति को ?सलाम करते है। 
जो गद्दारों की रिहाई खुले आम करते हैं। । 
घाटी में सिसकता है बलिदानियों का खून 
ये वतन परस्ती को नीलाम करते है। । 

हेमराज हंस 

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पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।।

 जे मंदिर कै हमरे खंडित मरजाद कइ रहे हें।  पबरित   परसाद    भंडासराध   कइ  रहे  हें।।  उनहीं   पकड़  के  सीधे  सूली  मा  टांग  द्या  हमरे  धर...