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सोमवार, 20 अप्रैल 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उनही दइ द्या ठेव सुरिज का दउरै न सरसेट के। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उनही दइ द्या ठेव सुरिज का दउरै न सरसेट के। ।: मुक्तक    दरबारन मा चर्चा ही कम्प्यूटर इंटरनेट  के।  औ खेतन मा मरै किसनमा फंदा गरे लपेट के। ।  केत्तव निकहा बीज होय पै पनपै नही छहेल...

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कीर्तिमान निश  दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।  जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।।  आये   नया   बिहान   शारदा   के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके  ...