यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 11 अप्रैल 2015

उई एकठे ''बोतल ''मा वोट ख़रीदा थे। ।

मुक्तक 

भईस अबै बिआन नही उई सोंठ ख़रीदा थे। 
लिपिस्टिक लगामै का ओठ ख़रीदा थे। । 
दुनिया के सबसे बड़े लोक तंत्र मा 
उई एकठे ''बोतल ''मा वोट ख़रीदा थे। । 
    हेमराज हंस 

कोई टिप्पणी नहीं:

पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।।

 जे मंदिर कै हमरे खंडित मरजाद कइ रहे हें।  पबरित   परसाद    भंडासराध   कइ  रहे  हें।।  उनहीं   पकड़  के  सीधे  सूली  मा  टांग  द्या  हमरे  धर...