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बुधवार, 8 अप्रैल 2015

गिलहरी के तन कै धारी देख ल्या। ।

मुक्तक 

तुमहूँ  अपने हाथ  कै चिन्हारी  देख ल्या। 
पुन भाई चारा काटें बाली आरी देख ल्या। । 
नीक काम करिहा ता वा खून मा रही 
''गिलहरी'' के तन कै धारी देख ल्या। । 
  हेमराज हंस 

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