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रविवार, 12 अप्रैल 2015

हम फुर कही थे ता कान उनखर बहा थै।

मुक्तक 


हम फुर कही थे ता कान उनखर बहा थै। 
पता नही तन मा धौ कउन रोग रहा थै। । 
तन   से हें  '' बुद्ध ''  मन   से   बहेलिया 
पंछी अस पीरा या लोकतंत्र सहा थै। । 
             हेमराज हंस  9575287490

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