मुक्तक
काल्ह बतामै गंगा भटट।
मचा साँझ के लठ्ठम लठ्ठ। ।
हम होन गयन करय समझौता
हमरेन लगिगा हरिजन एक्ट। ।
हेमराज हंस
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
जे मंदिर कै हमरे खंडित मरजाद कइ रहे हें। पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।। उनहीं पकड़ के सीधे सूली मा टांग द्या हमरे धर...
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