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गरीबन के निता सब मनसेरुआ हें।बिचारे के खटिआ मा तीन ठे पेरूआ हें। ।
चाह रजन्सी रही होय य की लोकतंत्र
मंहगाई गुंडई पकरिन ओकर चेरुआ हें। ।
वा सदमा से भनेजिन बिहोस परी ही
मामा कहा थें संच मा भइने बछेरुआ हें। ।
जब से महँग भै दार ता लपटा खई थे
उनखे निता चुकंदर हमहीं रेरुआ हें । ।
उनखे सुची रास मा गउर धरी ही
सत्तर साल से हंस के गोहूँ मा गेरुआ हें। ।
हेमराज हंस
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