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मंगलवार, 3 नवंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अब को माजी चाह का गंजा जानी थे। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अब को माजी चाह का गंजा जानी थे। ।: हम सब उनखर छक्का पंजा जानी थे।  अब को माजी चाह का गंजा जानी थे। ।  जब उनखे मूड़े बीत ता हम बिदुरात रहयन  अब हमरे घुटकी कसी शिकंजा जानी थे...

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कीर्तिमान निश  दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।  जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।।  आये   नया   बिहान   शारदा   के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके  ...