मेरी पसंद
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देख पालकी जिस दुल्हन की बहक गया हर एक बाराती
जिस के द्वार उठेगा घूँघट जाने उस पर क्या बीतेगी।
एक रोज सपने में छू कर तन मन चन्दन वन कर डाला ,
जो हर रोज छुआ जायेगा उस पागल पर क्या बीतेगी। ।
स्व. मुकुट बिहारी सरोज
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रोज खा ली हाथ घर लौट कर जाता हु मैं।
मुस्कुरा देते हैं बच्चे और मर जाता हु मै।
राजेश रेड्डी
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हादसों की जद में हैं तो मुस्कुराना छोड़ दें।
आ गया भूकंप तो क्या घर बनाना छोड़ दें।
तुमने मेरे घर न आने की कसम खाई तो है
आंसुओ से भी कहो आँखों में आना छोड़ दें।
वासिम वरेलवी
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