अबध मा बिराजे रघुनन्दन।
अपना का बधाई अभिनन्दन।।
पूर देस डूबा उराव मा।
नगर नगर औ गांव गांव मा।।
अस्तुति करैं राम कै जनजन।
दुनिया देखिस सीना छप्पन।
अउ भारत का सहज बड़प्पन ।।
नैनन निरख्यन ऐतिहासिक छन ।।
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
श्री शिवशंकर सरस जी, बोली के चउमास। उनसे छरकाहिल रहैं, तुक्क बाज बदमास।। सादर ही सुभकामना, जनम दिना कै मोर। रिमही मा हें सरस जी , जस पा...
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