अबध मा बिराजे रघुनन्दन।
अपना का बधाई अभिनन्दन।।
पूर देस डूबा उराव मा।
नगर नगर औ गांव गांव मा।।
अस्तुति करैं राम कै जनजन।
दुनिया देखिस सीना छप्पन।
अउ भारत का सहज बड़प्पन ।।
नैनन निरख्यन ऐतिहासिक छन ।।
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
एक बार महामना मालवीय जी स्नान हेतु प्रयाग संगम पधारे वहां के पंडो में उनको नहवाने की होड़ लग गई। तभी मालवीय जी ने कहा की जिससे एकदम शुद्ध स्व...
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