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बुधवार, 10 अप्रैल 2024

खखरी भुंडी तक किहिन,मानस का अपमान

 जीबन  के  हर  पक्ष  का,जे  दे  सरल निदान। 

खखरी भुंडी तक किहिन,मानस का अपमान।।


लगी  रही  जब  देस  मा, गरिआमै  कै  रयाव।

ता  न किहा  आलोचना, औ न दीन्हया ठयाव।।


डेंगू अउर  मलेरिया,  कह्या  तु  ऊल जलूल। 

वा तोहरे अपमान का, सकब  न हरबी भूल।। 

हेमराज हंस   

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