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गुरुवार, 27 नवंबर 2025

गदहा परेशान है गईया के प्रतिष्ठा मा।।

 सुमर कै नजर नित  रहा   थी  बिष्ठा  मा। 

हमीं  कउनव सक नहीं ओखे निष्ठा मा।।  

सेंतय का  झारन  मा जरा  बरा जात  है 

गदहा  परेशान है  गईया  के प्रतिष्ठा मा।।   

हेमराज हंस 

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