जे मंदिर कै हमरे खंडित मरजाद कइ रहे हें।
पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।।
उनहीं पकड़ के सीधे सूली मा टांग द्या
हमरे धरम के साथ जे अपराध कइ रहे हें।।
हेमराज हंस -भेड़ा मैहर
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान। जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।। आये नया बिहान शारदा के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके ...
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