यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 15 सितंबर 2024

KAVI SAMMELAN KARVI 14.09.2024


 हिंदी दिवस पर पावन धाम चित्रकूट के  पुरानी कोतवाली केसामने हुए कवि सम्मेलन में कवियों

ने हर रस की कविताएं सुनाकरलोगों का भरपूर मनोरंजन किया।इसका आयोजन योगेंद्र दत्त द्विवेदी

एजूकेशन सोसायटी, साहित्यसाधना ग्रुप एवं नगर पालिकापरिषद के संयुक्त तत्वावधान मेंकिया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत आचार्यब्रजेंद्र शास्त्री ने दीप प्रज्ज्वलनसे की। अध्यक्षता शायर अख्तरफ़राज़ ने की। संचालन डा. मनोजद्विवेदी, हबीब खान व छतरपुर केकवि सूरज पंडित ने किया। सतनाकी कवयित्री दीपा गौतम ने बेटियों

पर रचना पढ़, नीरांजना के पुष्प

सी होती हैं बेटियां, कोमलहृदय

करुणा सी होती हैं बेटियां। 

चरखारीके प्रदीप दिहुलिया ने व्यंग्य रचना,

चाहते हो जीवन को सफल बनाना

यदि, पत्नी की हां में हां मिलाते चले

जाइए, वह दिन को कहे जो रात,

दूध को कहे जो भात, सहमति में

शीश को हिलाते चले जाइए पढ़कर

वाहवाही बटोरी। 

सूरज पंडित ने पढ़ा, खुशियों का संसार तुम्हारे नाम

किया, जीवन भर का प्यार तुम्हारे

नाम किया।

 मैहर के कवि हेमराज हंस ने, 

फलाने कै भईंस बहुत

पल्हात ही, लागत है मिड डे मील कै

दरिया खात ही,  गभुआर चले गें पेट

 खलाये सरकारी योजना ठाड़े बिदुरात ही। 

पढ़कर व्यवस्थाओं पर करारी चोट

की। 

दिनेश दीक्षित संघर्षी ने, हिंद

देश का मान हूं मैं तो हिंदी भाषा

ठहरी हूं, क्यों बेबस लाचार खड़ी

मैं जंजीरों में जकड़ी हूं, से भाषा की

व्यथा को व्यक्त किया। 

श्रीनारायणतिवारी ने इंसानियत पर पंक्तियांपढ़ीं, जिनको प्यारे सभी इंसान नहींहोते हैं, वो तो हिंदू या मुसलमान

नहीं होते हैं। मेरे श्रीराम ही अल्ला भी तुम्हारे हैं, एक दुनिया में दोभगवान नहीं होते हैं। गज़लकारअख्तर फ़राज़ ने मंदाकिनी नदीकी अनदेखी पर व्यथा जताई, नदी

मंदाकिनी से वाकई ह पै ्यार तो दखे ो,हरी मोहन राय, संदीप श्रीवास्तवने भी रचनाएं पढ़ीं। समाजसेवीअभिमन्यु भाई ने मंदाकिनी कीअविरल धारा के लिए मार्मिक रचनासस्वर प्रस्तुत की। बांदा की रीनासिंह ने बेटियों और मां मंदाकिनीपर अपनी रचना पढ़कर भावविभोर

कर दिया। इस मौके पर सदर विधायक अनिल प्रधान, अधिवक्ता आलोक द्विवेदी, रामबाबू गुप्ता,रमेश चंद्र द्विवेदी, जगदीश गौतम, राजा करवरिया, ज्योति करवरिया, चित्रा द्विवेदी, सीमा शुक्ला, डा. एसपी त्रिपाठी, रामपाल त्रिपाठी,रामलाल द्विवेदी प्राणेश, राघव चित्रकूटी, राजेश जायसवाल, अर्चन द्विवेदी, आदि ने कवियों काउत्साहवर्धन किया। 


कोई टिप्पणी नहीं:

पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।।

 जे मंदिर कै हमरे खंडित मरजाद कइ रहे हें।  पबरित   परसाद    भंडासराध   कइ  रहे  हें।।  उनहीं   पकड़  के  सीधे  सूली  मा  टांग  द्या  हमरे  धर...