एक बार महामना मालवीय जी स्नान हेतु प्रयाग संगम पधारे वहां के पंडो में उनको नहवाने की होड़ लग गई। तभी मालवीय जी ने कहा की जिससे एकदम शुद्ध स्वस्ति वचन आता हो वही हमें स्नान के लिए ले चले ,तभी एक सयाने पण्डे ने कहा चलिए पंडित जी हम स्नान कराएँगे। वह मालवीय जी को संगम में ले जाकर गंगा जल ले कर बोला ,सम्माननीय आप देश के श्रेष्ठतम विद्वान हैं। ये बताइये इधर कौन है वे बोले गंगा उधर , यमुना और सरस्वती ? वो विलुप्त हैं। पांडा जी ने कहा जिस देश में सरस्वती विलुप्त हों वहां शुद्ध शुद्ध स्वस्ति उच्चारण कौन कर सकता है --बकौल -मदन मोहन मिश्र वाराणसी
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