शानदार भा कवि सम्मलेन, गरिमा पूर्ण उचहरा मा।
मन भर खूब नहाइन श्रोता, कविता आंखर बहरा मा।।
मुख्य अतिथि नागौद नरेश जू श्री महराज कुमार रहें ।
कार्य क्रम के सूत्रधार सिरि, अनिल सिंह परिहार रहें ।।
संचालन रविशंकर जी ,जे हास्य व्यंग्य के महापौर ।
बानी बन्दन शैलेन्द्र शैल के मधुर कंठ सुन सब बिभोर।।
कवि तेजभान सतना बाले, महिपर अस बानी दिहिन घोर।
मुक्तक कविता सुन श्रोतागण, पुन पुन गोहरामैं बन्स मोर।।
रवि हेमराज का ठाढ़ किहिन, जब बांध भूमिका खाका पुन ।
ता सभ्भ सभा बिदुराय लाग , औ खासा लाग ठहाका पुन। ।
श्री शैलेन्द्र शैल गाइन , सुकबार गीत के गीतकार।
रिमझिम रिमझिम लागै मउसम जब झरैं लाग कविता फुहार।।
अनिल अल्प जी के मुक्तक, झकझोर दिहिन अंतस के तार।
जब समाज के चाल चलन मा, शब्दन से किन्हिन प्रहार।।
जब रमेश जाखी जी का भा, हास्य काव्य खटिया बाला।
ता बजी जोरदार तारी औ हंसय लाग कन्या शाला।।
हास्यावतार रविशंकर जी के हास्य व्यंग्य कै मिलै न थाह।
सुन सुन उनखर हास्य छन्द सभा कह उची वाह वाह ।।
स्वर्गीय श्री शैलेन्द्र सिंह उरदना , स्मृति का काव्य सार ।
उनखे सपूत अभिलाष सिंह, किन्हिन कवि श्रोतन का आभार।
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