जइसा कठपुतरी मा सुतबा नही रहै।।
भले पूजा जिंद बरम बीस ठे खबीस
पै हनुमान चलीसा बांचा ता भुतबा नही रहै।।
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
*लोकगीत * दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी । भाव सुनत मा लागय ठुसका।। दार महँगी ।। किधनव बनाउब पान...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें