कारन लुच्चा चाइना गुड़ का कोल्हू बाप।।
बिस्व मा हाहाकार है धरी मउत कै सीन ।
वाखर जुम्मेदार है घिनहा घाती चीन।।
दुस्ट चाइना बिस्व मा छोड़िस अइसा गाज।
त्राहि त्राहि जनता करै किलपै सकल समाज।।
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
जेखे आंखर बने हें, जनता के स्वर दूत। बंदन है जयराम जी, बिन्ध्य के बानी पूत।। सादर ही शुभ कामना बरिस गाँठ के हेत। करत रहै लेखनी सद...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें