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शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2015

जो कलबुगी पे मुखर हैं औ रूश्दी पर मौन।

जो कलबुगी पे मुखर हैं औ रूश्दी पर मौन।
उनसे जाकर पूछिये है पाखण्डी कौन। ।
हेमराज हंस

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