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गुरुवार, 15 अक्टूबर 2015

मातु शारदे 

हे मातु शारदे सम्बल दे तै निर्बल छिनी मनंगा का। 
मोरे देस कै शान बढ़ै औ बाढ़ै मान तिरंगा का। । 

दिन दिन दूना होय देस मा लोक तंत्र मजबूत। 
घर घर बिटिया विदुषी हो औ लड़िका होय सपूत। । 
विद्वानन से सभा सजै औ पतन होय हुरदंगा का। 

'वसुधैव कुटुम्बम 'केर भावना बसी रहय सबके मन मा। 
औ परबस्ती निता ललायित रहै कामना जन जन मा। । 
देस प्रेम कै जोत जुगै  कहूँ मिलै ठउर न दंगा का। 

खेलै पढ़ै बढ़ै विद्यार्थी रोजी मिलै जवानन का। 
रोटी औ सम्मान मिलै घर घर बूढ़ सयानन का। । 
'रामेश्वरम मा चढ़त रहै जल गंगोतरी के गंगा का। 
हेमराज हंस -----9575287490  


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