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शनिवार, 26 दिसंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अब 'बाबा जी 'बात करा थें चमनप्रास कै। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अब 'बाबा जी 'बात करा थें चमनप्रास कै। ।: बघेली मुक्तक  देस टकटकी लगाये है काले धन के आस कै।  अब 'बाबा जी 'बात करा थें चमनप्रास कै।  ।  घुटकी भर खाय के दिल्ली डकारा थी  ...

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  श्री शिवशंकर सरस जी, बोली के चउमास।  उनसे छरकाहिल रहैं, तुक्क बाज बदमास।।  सादर ही सुभकामना, जनम दिना कै मोर।  रिमही मा हें सरस जी , जस पा...