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मंगलवार, 14 जुलाई 2015

बघेली कवि हेमराज हंस -बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र का चित्र।


दोहा 

बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र का चित्र। 
गंधइलन  के कान मा खोंसा फूहा इत्र  । । 
हेमराज हंस 9575287490   



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पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।।

 जे मंदिर कै हमरे खंडित मरजाद कइ रहे हें।  पबरित   परसाद    भंडासराध   कइ  रहे  हें।।  उनहीं   पकड़  के  सीधे  सूली  मा  टांग  द्या  हमरे  धर...