मातु शारदे
हे मातु शारदे सम्बल दे तै निर्बल छिनी मनंगा का।
मोरे देस कै शान बढ़ै औ बाढ़ै मान तिरंगा का। ।
दिन दिन दूना होय देस मा लोक तंत्र मजबूत।
घर घर बिटिया विदुषी हो औ लड़िका होय सपूत। ।
विद्वानन से सभा सजै औ पतन होय हुरदंगा का।
'वसुधैव कुटुम्बम 'केर भावना बसी रहय सबके मन मा।
औ परबस्ती निता ललायित रहै कामना जन जन मा। ।
देस प्रेम कै जोत जुगै कहूँ मिलै ठउर न दंगा का।
खेलै पढ़ै बढ़ै विद्यार्थी रोजी मिलै जवानन का।
रोटी औ सम्मान मिलै घर घर बूढ़ सयानन का। ।
'रामेश्वरम मा चढ़त रहै जल गंगोतरी के गंगा का।
हेमराज हंस -----9575287490
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