बघेली मुक्तक
उइ कुरसी का खेल अक्कड़ बक्कड समझा थें।
जनता का निगबर फक्कड़ समझा थें। ।
चले आउ थें बेशर्मी से बोतल लये बस्ती मा
हमरे लोकतंत्र का पियक्कड़ समझा थें। ।
हेमराज हँस
उइ कुरसी का खेल अक्कड़ बक्कड समझा थें।
जनता का निगबर फक्कड़ समझा थें। ।
चले आउ थें बेशर्मी से बोतल लये बस्ती मा
हमरे लोकतंत्र का पियक्कड़ समझा थें। ।
हेमराज हँस
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