bagheli muktak
भले जीभ दार है पै मकुना मउना है।
एहिन से ओही सइघ नही अउना पउना है।।
पड़बा है काहे दूबर य बात दिल्ली जाना थी
दुधारु लोकतंत्र के पडउना का थमाउना है। ।
हेमराज हँस
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान। जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।। आये नया बिहान शारदा के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके ...
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