यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 14 अगस्त 2022

बघेली मुक्तक

जानी थे सुमर आय पै बराह मानी थे। 
काहू कै नमूंजी करब गुनाह मानी थे।। 
गंगा कबेरी रेबा त मंत्र आंय नहात के 
हम बांस बिरबा तक का बाह मनीथे।। 

कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।

कीर्तिमान निश  दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।  जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।।  आये   नया   बिहान   शारदा   के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके  ...