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सोमवार, 20 जनवरी 2020

हम सामर तैं गोर फलनिया rimhi kavita

तै लगते इन्दौर फलनिया 

हम सामर तैं गोर फलनिया।
बड़ी मयारू मोर फलनिया। । 

जीवन के ताना -बाना कै । 
तैं सूजी हम डोर फलनिया। । 

हम रतिया भादव महिना कै । 
तैं फागुन कै भोर फलनिया। । 

रिम झिम रिम झिम प्रेम के रित मा । 
हम मेघा तैं मोर फलनिया। । 

हम हन बिंध अस  ठगे ठगे  । 
तैं लगते इन्दौर फलनिया। । 

हिरदय भा कोहबर अस बाती । 
जब हंस से भा गठजोर फलनिया। । 


शनिवार, 12 अक्तूबर 2019

मुक्तक

कोऊ सड़क कोउ पट्टी खाय गा।
कोऊ बोरा कोऊ कट्टी खाय गा।।
केत्ती घिनही भूंख बढी मोरे देस मा
कोऊ शौचालय सहित टट्टी खाय गा।।            🌻🌻🌻🌻🌻
वा बड़ा हुसिआर है नारा बेचा थै
चोरन का सरदार है पै तारा बेंचा थै
हम ओखशील सोहबत का प्रनाम करी थे वा भाई चारा काटैं बाला आरा बेंचा थै
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻

मंगलवार, 8 जनवरी 2019

मुक्तक

शनीचचढ़ा कुसाइत गेर लेथी
जनता से जुड़य त शबरी बेर दे थी।।
पुन चह करेजा धइ द्या निकार के
रइय्यत राम राजव मा बगाबत हेर ले थी

छठ सातैं की भमरी देखा।

  छठ सातैं  की भमरी देखा। तोहसे  या  न थम्हरी देखा।।    एक  बाल्टी  पानी  खातिर  उचत  भरे कै जमरी देखा।।  सउंज  उतार रही तुलसी कै  या   गंधइ...