बघेली मुक्तक
हम जेहि मान्यन की बहुतै बिजार है।
लगथै भाई व बरदा गरिआर है। ।
दहकी ता दहकी नही दल का सिंगर है। ।
अब सेंतै लागै माख फलाने।
हा तुमहिंन सबसे बांख फलाने। ।
तुहिन लगाये रह्या अदहरा
तुहिन उचाबा राख फलाने। ।
कवि -हेमराज त्रिपाठी ''फलाने ''
भेड़ा मैहर मप्र
9575287490
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