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रविवार, 24 मई 2015

खड़ी जलाका जेठ कै औ भै बिजली गोल।

दोहा 

खड़ी जलाका जेठ कै औ भै बिजली गोल। 
कूलर से बिजना कहिस जान्या हमरिव मोल। । 
हेमराज हंस 

उनही हमरे गाँव मा कांटा लगा थें। ।

मुक्तक 

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जे राजधानी मा डांटा लगा थें। 
उनही हमरे गाँव मा कांटा लगा थें। । 
उई  विज्ञापन कै मलाई छान रहे है  
ता  गाँव के समाचार माठा लगा थें। । 
हेमराज हंस 

उनही हमरे गाँव मा कांटा लगा थें। ।

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जेखे पीठे म बजा बारां का घरियार। 
ओहिन की दारी सुरिज कढ़ई खूब अबिआर। … 

शनिवार, 23 मई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli kavita नाती केर मोहगरी ''आजा'' जुगये आस कै...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli kavita नाती केर मोहगरी ''आजा'' जुगये आस कै...: बघेली कविता  www.baghelisahitya.com --------------------------------------------------------------------------------------------- शहर ...

bagheli kavita नाती केर मोहगरी ''आजा'' जुगये आस कै बाती।

बघेली कविता www.baghelisahitya.com

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शहर मा  जाके रहय लाग जब से आपन गाँव। 
भरी दुपहरी आँधर होइगै लागड़ होइ गै छाँव। । 

 गाँवन कै इतिहास बन गईं अब पनघट कै गगरी। 
 थरी कोनइता मूसर ज्यतबा औ कांडी कै बगरी। । 
              गड़ा बरोठे किलबा सोचइ पारी आबै माव  । 

हसिया सोचै अब कब काटब हम चारा का ज्यांटा। 
सोधई दोहनिया मा नहि बाजै अब ता दूध का स्यांटा। । 
काकू डेरी माही पूंछै दूध दही का भाव। 

 दुर्घट भै बन बेर बिही औ जामुन पना अमावट। 
''राजनीत औ अपराधी ''अस सगली हाट मिलावट। ।
      हत्तियार  के  बेईमानी मा डगमग जीवन नाँव। 

जब से पक्छिमहाई बइहर गाँव मा दीन्हिस खउहर। 
उन्हा से ता बाप पूत तक करै फलाने जउहर। । 
नात परोसी हितुअन तक मां एकव नही लगाव।  

कहै जेठानी देउरानी के देख देख के ठाठ  । 
हम न करब गोबसहर गाँव मा तोहरे बइठै काठ। । 
हमू चलब अब रहब शहर मा करइ कुलाचन घाव। 

नाती केर मोहगरी ''आजा'' जुगये आस कै बाती। 
बीत रहीं गरमी कै छुट्टी  आयें न लड़िका नाती। ।    
खेर खूंट औ कुल देउतन का अब तक परा बधाव। 


ममता के ओरिया से टपकें अम्माँ केर तरइना। 
फून किहिन न फिर के झाँकिन दादू  बहू के धइन.। । 
यहै रंझ के बाढ़ मां हो थै लउलितियन का कटाव। 
शहर मा जाके ----------------------------------------
हेमराज हंस --9575287490   


















 

शहर मा जाके बसय लाग जब से आपन गाँव ----

कविता 

शहर   मा जाके बसय लाग जब से आपन गाँव  --------------------------------------------------
दुर्घट भै बन बेर बिही औ जामुन पना अमावट। 
राजनीत औ अपराधी अस सगली हाट  मिलावट। । 
बेईमानन के बेईमानी मा डगमग जीवन नाव। 
 

bagheli kavita बघेली कविता

 

बघेली  कविता 

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 दुर्घट भै बन बइर् ,बिहि,औ जामुन पना अमावट। 
राजनीत औ अपराधी औ अपराधी अस 

बुधवार, 20 मई 2015

आबा हम गाँव का कोलान देखाई थे।

मुक्तक 

आबा हम गाँव का कोलान देखाई थे। 
होन आजादी का बइकलान देखाई थे। । 
जेही तुम वोट कै मण्डी समझत्या है 
ओखे गरीबी का चालान देखाई थे। । 
हेमराज हंस 
  

मंगलवार, 19 मई 2015

 मुक्तक 

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BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जलाशय से बड़ी बाल्टी नही होय। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जलाशय से बड़ी बाल्टी नही होय। ।: मुक्तक  - देस         से   बड़ी   पार्टी  नही   होय।  जलाशय से बड़ी बाल्टी नही होय। ।  भले   बिभीषन   भक्त   हें राम   के  पै विश्...

जलाशय से बड़ी बाल्टी नही होय। ।

मुक्तक 

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देस        से   बड़ी   पार्टी  नही   होय। 
जलाशय से बड़ी बाल्टी नही होय। । 
भले   बिभीषन   भक्त   हें राम   के 
पै विश्व मा गद्दारन कै आरती नही होय। । 
हेमराज हंस ----------9575287490 

सोमवार, 18 मई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जब राजनीत गुंडन का सीट बाँटा थी।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जब राजनीत गुंडन का सीट बाँटा थी।: मुक्तक  -------------------------------------- जब राजनीत गुंडन का सीट बाँटा थी।  तब   जनता आपन पीठ बाँटा थी। ।  देस मा मजूरन के क्...

जब राजनीत गुंडन का सीट बाँटा थी।

मुक्तक 

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जब राजनीत गुंडन का सीट बाँटा थी। 
तब   जनता आपन पीठ बाँटा थी। । 
देस मा मजूरन के क्याबा होइ रहे हें 
ब्यवस्था मीठ मीठ भाषन बाँटा थी। । 
हेमराज हंस -----------9575287490 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : सूर्पनखा के नाक कै डिजाइन हेरा थें।।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : सूर्पनखा के नाक कै डिजाइन हेरा थें।।: मुक्तक  -------------------------------------------------- उई  प्रगतिशील हैं तउ डाईन  हेरा थें।  सूर्पनखा के  नाक कै डिजाइन हेरा थें...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : भाई अस दूसर नही जो भउजाई बांख न होय।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : भाई अस दूसर नही जो भउजाई बांख न होय।: मुक्तक  -------------------------------------------- भाई अस दूसर नही जो भउजाई बांख न होय।  बाउर अस है वा समाज जेखर आपन भाख न होय। । ...

कीर्ति बिटिया माँ बनी

 कीर्ति बिटिया माँ बनी, हरी भरी हुई गोद।  परिजन हैं उल्लास में, सबके मन में मोद।।  आशा दसमी शुभ तिथि, सुदी का स्वाति नक्षत्र।   दो हज्जार  ब...