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शनिवार, 11 जनवरी 2025

गदहा परेसान है गइया के प्रतिष्ठा मा । ।

पसीना का ठगि  के वा  बइठ हबै  भिट्ठा मा। 
कइउ  ठे लजुरी   खिआनी   है   घिट्टा  मा । । 
सेंतय   का   जरा   बरा   जाथै   कमेसुर वा 
गदहा  परेसान  है  गइया  के  प्रतिष्ठा   मा । ।
 
हमरे   नुकसान  केर  डाँड़  बांकी  है। 
दुस्ट औ कृतघ्न कै दुइ फांड़ बांकी है।। 
जोकर उपाय  कइ  सब  हीच चुके हैं 
फलाने कहि रहें हें की भाँड़ बांकी है। ।

 हमी  रूप  से का  मतलब, हम ता आंखर मा रीझे हन। 
बानी के मंत्र लिखे कागद, हम मस मा खूब पसीझे हन।।
तुम प्रेम पिआसी पिंगला ता , हम उदासीन भरथरी हयन 
तुम्ही  शुभ  होय  तुम्हार  प्रेम, हम ता आंसू मा भींजे हन।। 

उइ   जेही  छूइ   देथें  वा  सोन  बन जाथै । 
खारा   पानी   जम   के  नोन    बन  जाथै ।।   
जादा   ना  सताबा   कउनव    गरीब   का
अपमान पी के एक दिन वा द्रोन बन जाथै ।। 
   
वा  एक   पुड़िया   कुरकुरा   मा  रगाय  गा।
पै  रोय  के सबका   नींद   से   जगाय   गा ।।
उनही   पुटिआमै   का  अउराथै    नीक  के 
घुनघुना  धराय के अउंटा पिअय सिखाय गा।।

गुरतुर का गुरतुर सखार का सखार कहा।
सांझ का सांझ सकार का सकार कहा।। 
 भले केत्तव  सजाबा  बनउक  बिझूका 
तोखार  न  बनी  वोही  धोखार   कहा। । 

या  ता अहरी आय  बखरी  कहूं  अउर  ही। 
मन तउलय के निता तखरी कहूं अउर ही। 
अब ता  कायलिव रचाये ओंठ   बागा थी 
प्रेम  काहू से  ता  पैपखरी  कहूं  अउर  ही।। 

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कीर्तिमान निश  दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।  जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।।  आये   नया   बिहान   शारदा   के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके  ...