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मंगलवार, 3 नवंबर 2015

शनीचर चढ़ा ता कुसायित गेर ले थी।

शनीचर चढ़ा ता कुसायित गेर ले थी। 
जनता से जुड़े मा ''शबरी''बेर दे थी। । 
चाहे करयाजा धइ द्या निकार के 
रय्यत रामराजव मा धोबी हेर ले थी। । 
हेमराज हंस --- 

शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : चुनाव मा ''मै सेवक परिवार समेता ''। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : चुनाव मा ''मै सेवक परिवार समेता ''। ।: रैली मा गरीब थैली मा नेता। कब तक मिली खाद मा रेता। । उनसे करा नमस्ते ता मूडव नही हलै चुनाव मा ''मै सेवक परिवार समेता ''।...

चुनाव मा ''मै सेवक परिवार समेता ''। ।

रैली मा गरीब थैली मा नेता।
कब तक मिली खाद मा रेता। ।
उनसे करा नमस्ते ता मूडव नही हलै
चुनाव मा ''मै सेवक परिवार समेता ''। ।
हेमराज हंस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : वे महापुरुष से खेलते जातिवाद का खेल।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : वे महापुरुष से खेलते जातिवाद का खेल।: वे महापुरुष से खेलते जातिवाद का खेल।  चाहे नेहरू ,भीम ,हों य सरदार पटेल। ।  हेमराज हंस

वे महापुरुष से खेलते जातिवाद का खेल।

वे महापुरुष से खेलते जातिवाद का खेल। 
चाहे नेहरू ,भीम ,हों य सरदार पटेल। । 
हेमराज हंस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उनके नाम होने लगा जातिवाद का पर्व। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उनके नाम होने लगा जातिवाद का पर्व। ।: महापुरुष हैं देश में, राष्ट्रवाद के गर्व।  उनके नाम होने लगा जातिवाद का पर्व। ।  हेमराज हंस

उनके नाम होने लगा जातिवाद का पर्व। ।

महापुरुष हैं देश में, राष्ट्रवाद के गर्व। 
उनके नाम होने लगा जातिवाद का पर्व। । 
हेमराज हंस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जब 'लज्जा 'की लेखनी, की खींची गई चीर।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जब 'लज्जा 'की लेखनी, की खींची गई चीर।: जब 'लज्जा 'की लेखनी, की खींची गई चीर।  लेते रहे ईनाम वे, रही सिसकती पीर। ।  हेमराज हंस

जब 'लज्जा 'की लेखनी, की खींची गई चीर।

जब 'लज्जा 'की लेखनी, की खींची गई चीर। 
लेते रहे ईनाम वे, रही सिसकती पीर। । 
हेमराज हंस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जो कलबुगी पे मुखर हैं औ रूश्दी पर मौन।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जो कलबुगी पे मुखर हैं औ रूश्दी पर मौन।: जो कलबुगी पे मुखर हैं औ रूश्दी पर मौन। उनसे जाकर पूछिये है पाखण्डी कौन। । हेमराज हंस

जो कलबुगी पे मुखर हैं औ रूश्दी पर मौन।

जो कलबुगी पे मुखर हैं औ रूश्दी पर मौन।
उनसे जाकर पूछिये है पाखण्डी कौन। ।
हेमराज हंस

रविवार, 25 अक्टूबर 2015

जेखे मुँह मा मुस्का लगा है।

जेखे मुँह मा मुस्का लगा है। 
वोही धौं काहे ठुसका लगा है। । 
हेमराज हंस

तलवार भांजत मा पायल मजामै आ गया। ।

विपत के घरी मा तुमहूं भजामैं आ गया। 
तलवार भांजत मा पायल मजामै आ गया। । 
हेमराज हंस

हमने गद्दारों की ऐसी नसल देखी है।

हमने गद्दारों की ऐसी नसल देखी  है। 
जो खेत खा जाय ऐसी फसल देखी है। ।

श्री शिवशंकर सरस जी

  श्री शिवशंकर सरस जी, बोली के चउमास।  उनसे छरकाहिल रहैं, तुक्क बाज बदमास।।  सादर ही सुभकामना, जनम दिना कै मोर।  रिमही मा हें सरस जी , जस पा...