चाह वाम पंथी रहै य दाम पंथ के ढ़ोंग।
शोषन किहिन गरीब का जइसा घेंटी घोंग।।
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
त्रहि त्राहि मची ही पानी कै देस मां
, नाहक न बहैं पाबै टोंटी कै बात कर।।
भरे कंठ माही बिक्ख नीलकंठ बन,
समाज माही सीलासपोटी कै बात कर।।
भले कल्लाथै पै कुतकुती तो ही,
भउजाई केर चींथी चिकोटी कै बात कर।।
जे आने क खनिस गड़बा आपै सकाय गा,
नीकी हेर निंदा न खोटी कै बात कर।।
बलार के गरे मां घंटी न बांध हंस
पिंजरा बंद मिठ्ठू चित्रकोटी कै बात कर।।
हेमराज हंस भेंड़ा मैहर मप्र ९५७५२८७४९०
कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान। जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।। आये नया बिहान शारदा के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके ...