मुक्तक
आबा ! गाँव मा शौचालय का गड़बा देखाइ थे।
वमै डबरा योजना का पड़बा देखाई थे। ।
ब्यवस्था बताऊ थी वजट कै कमी ही
हम छूँछ सरकारी भड़बा देखाई थे। ।
हेमराज हंस --9575287490
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
कीर्ति बिटिया माँ बनी, हरी भरी हुई गोद। परिजन हैं उल्लास में, सबके मन में मोद।। आशा दसमी शुभ तिथि, सुदी का स्वाति नक्षत्र। दो हज्जार ब...