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शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : चुनाव मा ''मै सेवक परिवार समेता ''। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : चुनाव मा ''मै सेवक परिवार समेता ''। ।: रैली मा गरीब थैली मा नेता। कब तक मिली खाद मा रेता। । उनसे करा नमस्ते ता मूडव नही हलै चुनाव मा ''मै सेवक परिवार समेता ''।...
चुनाव मा ''मै सेवक परिवार समेता ''। ।
रैली मा गरीब थैली मा नेता।
कब तक मिली खाद मा रेता। ।
उनसे करा नमस्ते ता मूडव नही हलै
चुनाव मा ''मै सेवक परिवार समेता ''। ।
हेमराज हंस
कब तक मिली खाद मा रेता। ।
उनसे करा नमस्ते ता मूडव नही हलै
चुनाव मा ''मै सेवक परिवार समेता ''। ।
हेमराज हंस
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : वे महापुरुष से खेलते जातिवाद का खेल।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : वे महापुरुष से खेलते जातिवाद का खेल।: वे महापुरुष से खेलते जातिवाद का खेल। चाहे नेहरू ,भीम ,हों य सरदार पटेल। । हेमराज हंस
वे महापुरुष से खेलते जातिवाद का खेल।
वे महापुरुष से खेलते जातिवाद का खेल।
चाहे नेहरू ,भीम ,हों य सरदार पटेल। ।
हेमराज हंस
चाहे नेहरू ,भीम ,हों य सरदार पटेल। ।
हेमराज हंस
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उनके नाम होने लगा जातिवाद का पर्व। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उनके नाम होने लगा जातिवाद का पर्व। ।: महापुरुष हैं देश में, राष्ट्रवाद के गर्व। उनके नाम होने लगा जातिवाद का पर्व। । हेमराज हंस
उनके नाम होने लगा जातिवाद का पर्व। ।
महापुरुष हैं देश में, राष्ट्रवाद के गर्व।
उनके नाम होने लगा जातिवाद का पर्व। ।
हेमराज हंस
उनके नाम होने लगा जातिवाद का पर्व। ।
हेमराज हंस
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जब 'लज्जा 'की लेखनी, की खींची गई चीर।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जब 'लज्जा 'की लेखनी, की खींची गई चीर।: जब 'लज्जा 'की लेखनी, की खींची गई चीर। लेते रहे ईनाम वे, रही सिसकती पीर। । हेमराज हंस
जब 'लज्जा 'की लेखनी, की खींची गई चीर।
जब 'लज्जा 'की लेखनी, की खींची गई चीर।
लेते रहे ईनाम वे, रही सिसकती पीर। ।
हेमराज हंस
लेते रहे ईनाम वे, रही सिसकती पीर। ।
हेमराज हंस
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जो कलबुगी पे मुखर हैं औ रूश्दी पर मौन।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जो कलबुगी पे मुखर हैं औ रूश्दी पर मौन।: जो कलबुगी पे मुखर हैं औ रूश्दी पर मौन। उनसे जाकर पूछिये है पाखण्डी कौन। । हेमराज हंस
जो कलबुगी पे मुखर हैं औ रूश्दी पर मौन।
जो कलबुगी पे मुखर हैं औ रूश्दी पर मौन।
उनसे जाकर पूछिये है पाखण्डी कौन। ।
हेमराज हंस
उनसे जाकर पूछिये है पाखण्डी कौन। ।
हेमराज हंस
रविवार, 25 अक्टूबर 2015
तलवार भांजत मा पायल मजामै आ गया। ।
य विपत के घरी मा तुमहूं भजामैं आ गया।
तलवार भांजत मा पायल मजामै आ गया। ।
हेमराज हंस
तलवार भांजत मा पायल मजामै आ गया। ।
हेमराज हंस
हमने गद्दारों की ऐसी नसल देखी है।
हमने गद्दारों की ऐसी नसल देखी है।
जो खेत खा जाय ऐसी फसल देखी है। ।
जो खेत खा जाय ऐसी फसल देखी है। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : वो मजदूरों का ख़ून पी रहे है
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : वो मजदूरों का ख़ून पी रहे है: हम ऐसे दौर में जी रहे हैं। उल्लू हंस के ओंठ सी रहे है। । आप पसीने की बात करते हैं वो मजदूरों का ख़ून पी रहे है हेमराज हंस
वो मजदूरों का ख़ून पी रहे है
हम ऐसे दौर में जी रहे हैं।
उल्लू हंस के ओंठ सी रहे है। ।
हेमराज हंस
उल्लू हंस के ओंठ सी रहे है। ।
आप पसीने की बात करते हैं
वो मजदूरों का ख़ून पी रहे है हेमराज हंस
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