जब देखा तब अंधलोचन लगा रहा थै।
उनखे गाड़ी मा टोचन लगा रहा थै।।
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
जे दसा सुधारय गे रहे, गरीब सुदामा कै।
उइ तार दइ के आय गें कुरथा पइयामा कै।।
अनभल तुकिन ता आपरूभ नस्ट होइगे उइ
घर घर मा पूजा होथी बसामान मामा कै।।
उइ कहा थे दोस्ती का हाथ बढ़ा ल्या
करतूति नहीं बिसरय हमीं पुलबामा कै।।
धइ धइ के ओहटी टोर भांज कइ रहें हें जे
बांच बांच कबिता इकबाल अल्लामा कै। ।
आपन इलिम लगाय के जब हीच उचे हंस
सगली पोलपट्टी खुलगै कारनामा कै।।
हेमराज हंस
साहुत बनामय खातिर जे कउल रहे हें।
उइ तखरी मा गूलर का तउल रहे हें।।
कान बहय लागी जो सुन ल्या हा फुर
हेन जात बाले जातै का पउल रहे हें।।
आपुस मां कइसा माहुर घोराथी इरखा
भुक्त भोगी आपन "हरदउल" रहे हें।।
प्रथ्बी औ जयचन्द कै मुखागर ही किसा
सुन सुन के भारतिन के खून खउल रहे हें।।
कल्हव रहें देस मा उइ आजव हेमैं 'हंस'
जे बिषइले उरा बाले डील डउल रहे हें।।
हेमराज हंस
*लोकगीत *
दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।
भाव सुनत मा लागय ठुसका।। दार महँगी ।।
किधनव बनाउब पानी पातर।
एक दुइ दिन का दइ के आंतर।।
लड़िकन के मुंह दइ के मुसका। दार महँगी ।
दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।।
गुजर करब खा लपटा मीजा।
दार बनी जब अइहैं जीजा।।
करंय का मजूरी कहूं खसका। । दार महँगी।
दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।।
कइसा चलय अटाला घर का।
अइसा पाली पोसी लरिका ।।
जइसा सीता मइया लउकुस का। दार महँगी।
दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।।
हेमराज हंस
जेखे आंखर बने हें, जनता के स्वर दूत।
बंदन है जयराम जी, बिन्ध्य के बानी पूत।।
सादर ही शुभ कामना बरिस गाँठ के हेत।
करत रहै लेखनी सदा सबका सजग सचेत।।
पीरा गावय मा कबव, करय कसर न शेष।
आंसू के राज कुमार हैं, कबिबर रामनरेश
जिनखे लेखन मा हबै, शब्दन कै मरजाद ।
कविता सीधे हिदय से, करै करुन संबाद।।
पयसुन्नी अस सब्द का, जे पूजय दिनरात।
कबिता उनखे निता ही, जीबन कै जरजात।।
गीत ग़ज़ल कै आरती , दोहा कविता छंद।
आंखर आंखर आचमन, अंतस का आनंद।।
शब्द ब्रह्म का रुप है, वर्ण धरै जब भेष।
मइहर मा एक संत हैं, पंडित रामनरेश।।
लगय कटाये घाट अस, सब्दन का लालित्य।
मैहर मा चमकत रहैं, राम नरेश आदित्य।।
कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान। जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।। आये नया बिहान शारदा के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके ...