बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
यह ब्लॉग खोजें
गुरुवार, 13 फ़रवरी 2025
बुधवार, 5 फ़रवरी 2025
सुरक्षित आयें सुरक्षित जायें।
सुरक्षित आयें सुरक्षित जायें।
आपको मेरी शुभकामनायें।।
रखें सुरक्षा चक्र अटूट।
हेलमेट चश्मा बेल्ट औ बूट। ।
स्वयं औ साथी को समझायें।
सुरक्षित आयें सुरक्षित जायें।
आपको मेरी शुभकामनायें।।
बिना सुरक्षा जीवन कैसा।
खुली हवा में दीपक जैसा ।।
आमंत्रित होती हैं घटनायें।
सुरक्षित आयें सुरक्षित जायें।।
आपको मेरी शुभकामनायें।।
लापरवाही से है नुकसान।
छीने रोजी औ मुस्कान।।
अतः सुरक्षा को अपनायें।
सुरक्षित आयें सुरक्षित जायें।
आपको मेरी शुभकामनायें।।
है हर काम देश की सेवा।
साक्षी है गंगा औ रेवा।।
युगों युगों से रही प्रथायें।
सुरक्षित आयें सुरक्षित जायें।
आपको मेरी शुभकामनायें।।
रहे बोध कर्तव्य का हर में।
कोई प्रतीक्षा रत है घर में । ।
सिद्धि सुरक्षा संभावनाएं।
सुरक्षित आयें सुरक्षित जायें।
आपको मेरी शुभकामनायें।।
शनिवार, 11 जनवरी 2025
गदहा परेसान है गइया के प्रतिष्ठा मा । ।
पसीना का ठगि के वा बइठ हबै भिट्ठा मा।
कइउ ठे लजुरी खिआनी है घिट्टा मा । ।
सेंतय का जरा बरा जाथै कमेसुर वा
गदहा परेसान है गइया के प्रतिष्ठा मा । ।
हमरे नुकसान केर डाँड़ बांकी है।
दुस्ट औ कृतघ्न कै दुइ फांड़ बांकी है।।
जोकर उपाय कइ सब हीच चुके हैं
फलाने कहि रहें हें की भाँड़ बांकी है। ।
हमी रूप से का मतलब, हम ता आंखर मा रीझे हन।
बानी के मंत्र लिखे कागद, हम मस मा खूब पसीझे हन।।
तुम प्रेम पिआसी पिंगला ता , हम उदासीन भरथरी हयन
तुम्ही शुभ होय तुम्हार प्रेम, हम ता आंसू मा भींजे हन।।
उइ जेही छूइ देथें वा सोन बन जाथै ।
खारा पानी जम के नोन बन जाथै ।।
जादा ना सताबा कउनव गरीब का
अपमान पी के एक दिन वा द्रोन बन जाथै ।।
वा एक पुड़िया कुरकुरा मा रगाय गा।
पै रोय के सबका नींद से जगाय गा ।।
उनही पुटिआमै का अउराथै नीक के
घुनघुना धराय के अउंटा पिअय सिखाय गा।।
गुरतुर का गुरतुर सखार का सखार कहा।
सांझ का सांझ सकार का सकार कहा।।
भले केत्तव सजाबा बनउक बिझूका
तोखार न बनी वोही धोखार कहा। ।
या ता अहरी आय बखरी कहूं अउर ही।
मन तउलय के निता तखरी कहूं अउर ही।
अब ता कायलिव रचाये ओंठ बागा थी
प्रेम काहू से ता पैपखरी कहूं अउर ही।।
गुरुवार, 21 नवंबर 2024
बुधवार, 20 नवंबर 2024
बुधवार, 30 अक्टूबर 2024
बुधवार, 23 अक्टूबर 2024
मैहर की इक शान थे विजयनारायण राय।
मैहर की इक शान थे विजयनारायण राय।
जीवन में जाना नहीं अपना और पराय।।
चाह सियासी मंच हो या साहित्य सोपान।
अब तक मैहर ढ़ूढ़ता उन जैसा प्रतिमान।।
है कृतज्ञ जिनका यहां पावन मैहर धाम।
काल खण्ड में अमर है उनका सादर नाम।।
जन नायक होते नही किसी जाति मे कैद।
वे बीमार समाज के हैं शुभ चिंतक वैद।।
हेमराज हंस भेड़ा
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
लेबल
- अपरेसन सिन्दूर
- कबिबर रामनरेश
- कवि सम्मेलन
- कवि अनमोल बटरोही
- कुण्डलिया
- छणिका .
- जन्म दिन
- जयराम शुक्ल जी
- दोहा
- धरोहर
- नबा सम्बत
- नौ रात्रि
- परशुराम
- परिचय
- बघेली गजल
- बघेली छन्द
- बघेली कविता
- बघेली क्षणिका
- बघेली दोहा
- बघेली दोहे संग्रह
- बघेली मुक्तक
- बघेली मुक्तक.
- मंचीय मुक्तक
- मुक्तक
- मेरी पसंद
- मैहर जिला
- रामनरेश तिवारी जी
- विजयनारायण राय
- संकलित
- संस्मरण
- सम्मान
- स्मृति शेष
- हिन्दी साहित्य
- होली
- ATALJI
- BABU JI
- bagheli muktak
- doha
- KAVI MITRA
- KAVI SAMMELAN
- kavita
- KUMBH 2025
- muktak
- SHLOK
-
बघेली लोक साहित्य जब से मूड़े मा कउआ बइठ है। अशगुन लये बऊआ बइठ है। । इंदिरा आवास कै क़िस्त मिली ही वा खीसा मा डारे पउआ बइठ ...
-
पहिले जब खड़े होकर लघु शंका करना निषिद्ध माना जाता था। तब की बात है।एक बालक खड़े होकर लघुशंका कर रहा था। गांव के एक बुजुर्ग ने देखा तो उसे...
-
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli kavita नाती केर मोहगरी ''आजा'' जुगये आस कै... : बघेली कविता www.baghelisahitya.co...
-
बघेली लोक साहित्य जब से मूड़े मा कउआ बइठ है। अशगुन लये बऊआ बइठ है। । इंदिरा आवास कै क़िस्त मिली ही वा खीसा मा डारे पउआ बइठ ...
-
बघेली लोक साहित्य -------------------------- पहिले भइलो अईना देखा। धौं पुन आपन धइना देखा। । चश्मा केर पोंछि के धूधुर जनत...
कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।
कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान। जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।। आये नया बिहान शारदा के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके ...