मैहर की इक शान थे विजयनारायण राय।
जीवन में जाना नहीं अपना और पराय।।
चाह सियासी मंच हो या साहित्य सोपान।
अब तक मैहर ढ़ूढ़ता उन जैसा प्रतिमान।।
है कृतज्ञ जिनका यहां पावन मैहर धाम।
काल खण्ड में अमर है उनका सादर नाम।।
जन नायक होते नही किसी जाति मे कैद।
वे बीमार समाज के हैं शुभ चिंतक वैद।।
हेमराज हंस भेड़ा
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