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सोमवार, 7 अक्तूबर 2024

मंचीय मुक्तक

मुक्तक खंड 
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फलाने कै भंइसी निकहा पल्‍हाथी।
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पढ़इया स्‍कूल छूरा लइके अउथें।
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हम जेही मांन्‍यान कि बहुतै बिजार है।
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चेतना के देंह का उंइ झुन्‍न न करै।
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पियासा परा हम, हेन नल क देख्‍यान।
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काल्‍ह बतामैं गंगा भट्‌ट।
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शांती क पाठ लड.इया से पूंछत्‍या है ।
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बलफ फियुज होइगा झालर पकड.के।
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नल तरंग बजाउथें,बजबइया झांझ के।
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हमरेव गाँव मा  हरिहश्चंद हें 
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उनक कइ सरद अस पुनू 
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अब सेतै लागै माँख राम दै। 
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भइस अबै बिआन नही,उंइ सोठ खरीदाथें।
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घिनहौ क नागा नही कही,येही बड़प्‍पन मान कहा ।
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उइ बड़े प्रगति सील हें तउ डाइन हेराथें 
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समाज मा दहेज कै जबर दुकान होथी। 
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पुलिस जाना थी जेब कतरा आय। 
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हम फुर कहीथे ता कान उनखर बहा थै 
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उबर खाबर अस चरित्त का सभ्भ नीक 
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जनता देख रही ही नाटक राज नित के खादी का 
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हम उनही दिल दइ  दीन्हन अब गुर्दा मांगा थें। 
अस्पताल   से   हरबी   छुट्टी      मुर्दा मांगा थें।। 
जे बिचार से हें बीमार औ जनता के नजरन से गिरे  
उइ जादू टोना झरबामै  का उर्दा मांगा थें। । 
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हम घिनहव का नागा नहीं कही येही बड़प्पन 
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उइ बड़े अहिंसा बादी हें  पै रहा थें नींद मा। 
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काहू का पिसान से , काहू का चोकर से चला थै। 
काहू का एक्का से ता काहू  का जोकर से चला थै। । 
वा  महतारी केहाथ कै रोटी भला का जानै ------
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हाथे माही थामें माउस ----
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चला फलाने दारू बेंची-------
 नदिया खोदी बारू बेंची। 
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चमचागीरी जेखे कलम कूंची माँ नहीं। 
वाखर नाम अपना के सूची म नहीं। 
देस कै जनता जनाथी नीक के 
जउन मेंछा माहि शान वा पूँछी मा नहीं। । 
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हमरे ईमानदारी का रकबा रोज घटाथै। 
सुन के समाचार करेजा फटा थै। । 
जब उनसे पुछयन ता कहा थें फलाने 
चरित्र का प्रमाणपत्र थाने मा बटा थै। । 
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शुक्राचार घुसे तुम्मी मा। 
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तुहूं अपने हाथ कै चिन्हारी देख ल्या। 
देस के नोन पानी से गद्दारी देख ल्या। । 
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चुड़इलिन के भाव अबै निक के ठण्डन नहीं 
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खादी से कहाँ चूक भै  या चरखा बताउथें। 
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जब से मुड़े मा  कउआ बइठ है।  
कुसगुन लये बउआ बइठ है। । 
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आसव बादर खूब दहाड़ें। 
उछली पोखरी नरबा बाढ़ें। । 
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सिंघासन बाले बोरिया लये बइठ हें। 
कजहा नहीं आयें पै घोड़िया लये बैठ हें। । 
जेही रात के सपन मा जूजू देखा थै 
उइ बामी ठइ  दूध कै खोरिया लये  बइठ हें। । 
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हथौड़ा चला गा संसी चली गै। 
मछरी के लोभ मा  बंसी चली गै। । 
जब से जेपी औ लोहिया गें देस से 
हमरे बिपच्छ कै बड़मंसी चली गै। । 
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उइ जेहि अजनास कहा थें हमरे खातिर पोहगर है। 
भइया परदनिया बाला अपने रिबाज का मोहगर है। । 
उइ चाटैं महिपर लगाय के घिनहे भाव बिदेसिन के 
हमही अपने देस कै माटी सबसे निकही छोह्गार है। । 
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अबहूँ कउनव सक है हमरे सेंस मा। 
उइ दारू बेचा थें दूध के लाइसेंस मा। । 
जब उन्ही रोक के तलासी लीन गै 
ता कोरेक्स के सीसी मिली एम्बुलेंस मा। । 
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डीजे हमरे लोक पर्ब कै बसनी छोरा थें। 
जैसे कुपंथी हमरे गर्व कै कछनी छोरा थें।। 
जब अलमारी बक्सा पंहुचा हमरे गाँव मा 
दादू पुरखन कै बाँधी अरगसनी छोरा थें।। 
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