मुक्तक खंड
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फलाने कै भंइसी निकहा पल्हाथी।
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पढ़इया स्कूल छूरा लइके अउथें।
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हम जेही मांन्यान कि बहुतै बिजार है।
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चेतना के देंह का उंइ झुन्न न करै।
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पियासा परा हम, हेन नल क देख्यान।
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काल्ह बतामैं गंगा भट्ट।
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शांती क पाठ लड.इया से पूंछत्या है ।
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बलफ फियुज होइगा झालर पकड.के।
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नल तरंग बजाउथें,बजबइया झांझ के।
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हमरेव गाँव मा हरिहश्चंद हें
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उनक कइ सरद अस पुनू
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अब सेतै लागै माँख राम दै।
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भइस अबै बिआन नही,उंइ सोठ खरीदाथें।
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घिनहौ क नागा नही कही,येही बड़प्पन मान कहा ।
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उइ बड़े प्रगति सील हें तउ डाइन हेराथें
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समाज मा दहेज कै जबर दुकान होथी।
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पुलिस जाना थी जेब कतरा आय।
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हम फुर कहीथे ता कान उनखर बहा थै
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उबर खाबर अस चरित्त का सभ्भ नीक
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जनता देख रही ही नाटक राज नित के खादी का
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हम उनही दिल दइ दीन्हन अब गुर्दा मांगा थें।
अस्पताल से हरबी छुट्टी मुर्दा मांगा थें।।
जे बिचार से हें बीमार औ जनता के नजरन से गिरे
उइ जादू टोना झरबामै का उर्दा मांगा थें। ।
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हम घिनहव का नागा नहीं कही येही बड़प्पन
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उइ बड़े अहिंसा बादी हें पै रहा थें नींद मा।
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काहू का पिसान से , काहू का चोकर से चला थै।
काहू का एक्का से ता काहू का जोकर से चला थै। ।
वा महतारी केहाथ कै रोटी भला का जानै ------
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हाथे माही थामें माउस ----
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चला फलाने दारू बेंची-------
नदिया खोदी बारू बेंची।
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चमचागीरी जेखे कलम कूंची माँ नहीं।
वाखर नाम अपना के सूची म नहीं।
देस कै जनता जनाथी नीक के
जउन मेंछा माहि शान वा पूँछी मा नहीं। ।
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हमरे ईमानदारी का रकबा रोज घटाथै।
सुन के समाचार करेजा फटा थै। ।
जब उनसे पुछयन ता कहा थें फलाने
चरित्र का प्रमाणपत्र थाने मा बटा थै। ।
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शुक्राचार घुसे तुम्मी मा।
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तुहूं अपने हाथ कै चिन्हारी देख ल्या।
देस के नोन पानी से गद्दारी देख ल्या। ।
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चुड़इलिन के भाव अबै निक के ठण्डन नहीं
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खादी से कहाँ चूक भै या चरखा बताउथें।
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जब से मुड़े मा कउआ बइठ है।
कुसगुन लये बउआ बइठ है। ।
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आसव बादर खूब दहाड़ें।
उछली पोखरी नरबा बाढ़ें। ।
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सिंघासन बाले बोरिया लये बइठ हें।
कजहा नहीं आयें पै घोड़िया लये बैठ हें। ।
जेही रात के सपन मा जूजू देखा थै
उइ बामी ठइ दूध कै खोरिया लये बइठ हें। ।
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हथौड़ा चला गा संसी चली गै।
मछरी के लोभ मा बंसी चली गै। ।
जब से जेपी औ लोहिया गें देस से
हमरे बिपच्छ कै बड़मंसी चली गै। ।
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उइ जेहि अजनास कहा थें हमरे खातिर पोहगर है।
भइया परदनिया बाला अपने रिबाज का मोहगर है। ।
उइ चाटैं महिपर लगाय के घिनहे भाव बिदेसिन के
हमही अपने देस कै माटी सबसे निकही छोह्गार है। ।
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अबहूँ कउनव सक है हमरे सेंस मा।
उइ दारू बेचा थें दूध के लाइसेंस मा। ।
जब उन्ही रोक के तलासी लीन गै
ता कोरेक्स के सीसी मिली एम्बुलेंस मा। ।
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डीजे हमरे लोक पर्ब कै बसनी छोरा थें।
जैसे कुपंथी हमरे गर्व कै कछनी छोरा थें।।
जब अलमारी बक्सा पंहुचा हमरे गाँव मा
दादू पुरखन कै बाँधी अरगसनी छोरा थें।।
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