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रविवार, 10 जनवरी 2016

bagheli doha ओखे जिव का ब्याध। ।

बिन  गोनरी गगरी धरे रही प्यास का साध। 
तोहरे निता श्रृंगार रस ओखे जिव का ब्याध। । 
हेमराज हंस 

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