जब जब हमने यारी की है।
तो उसने मक्कारी की है। ।
चाहे हो कारगिल य पठानकोट
दोस्ती के नाम पे ग़द्दारी की है। ।
हेमराज हँस
तो उसने मक्कारी की है। ।
चाहे हो कारगिल य पठानकोट
दोस्ती के नाम पे ग़द्दारी की है। ।
हेमराज हँस
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान। जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।। आये नया बिहान शारदा के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके ...
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