यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 30 मार्च 2025

चल रही गाड़ी राम भरोसे।

 चल रही गाड़ी राम भरोसे। 
ढ़ड़क रही  ही ढोसे  ढोसे। । 

उइ  भाईचारा कै बात करा थें  
चक्कू  लये  औ  कट्टा खोसे। । 

तुहूँ  खूब  फरगाय  लिहा 
पसगइयत  थर्रा थै ओसे।। 

पहँसुल मा  काटा थें  सुपारी  
सनकी मारै सरउंता मोसे। 

कोई टिप्पणी नहीं:

श्री शिवशंकर सरस जी

  श्री शिवशंकर सरस जी, बोली के चउमास।  उनसे छरकाहिल रहैं, तुक्क बाज बदमास।।  सादर ही सुभकामना, जनम दिना कै मोर।  रिमही मा हें सरस जी , जस पा...