हमीं बधाई खुब दिहन, बसकट केर अपार।
अपना केर अभार है, सादर राम जोहार।।
पटल के कबि बिद्वान का, जथा जोग परनाम।
राम ब्रम्ह अच्छर करैं, दुनिया मा जस नाम। ।
हेमराज हंस
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
श्री शिवशंकर सरस जी, बोली के चउमास। उनसे छरकाहिल रहैं, तुक्क बाज बदमास।। सादर ही सुभकामना, जनम दिना कै मोर। रिमही मा हें सरस जी , जस पा...
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