यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 26 अक्टूबर 2022

विंध्य सतपुड़ा से शिखर ,लगते दोनों आप। 

दोनों के दर्शन हमें , लगते पुण्य प्रताप। । 

 

बुधवार, 12 अक्टूबर 2022

शनिवार, 8 अक्टूबर 2022

सगली दुनिया हिबै अचंभित

सगली दुनिया हिबै अचंभित ,दइके नाक रुमाल। 
सत्य अहिंसा के धरती मा , करुणा होय हलाल। । 

छाती पीट -पीट के रोबै, साबरमती कै धारा। 
अब ता बरनव के घर माही। धधक रहें अंगारा। । 
कोउ बता द्या राजघाट मा ,गांधी जी से हाल। 

जहाँ कै माटी सत्य अहिंसा केर विश्वविद्यालय। 
वहै धरा मा  बहै खून ,औ मार  काट का परलय। । 
गौतम गाँधी के भुइ माही बसे हमै  चंडाल। 

भारत माता के बिटियन के मरजादा का बीमा। 
अब ता उनखे बेसर्मी कै नहि आय कउनौ सीमा। । 
बड़मन्सी कै बोली ब्वालै बड़ बंचक बचाल। 

काल्ह द्रोण मागिन तै अउठा ,आज लइ लइन जान। 
बिद्या कै पबरित परिपाटी तक होइगै बलिदान। । 
रह्यान कबौ हम बिश्व गुरु पै आज गुरू घंटाल। 

शहरन माही आजादी के होथें मङ्गलचार। 
आजव भारत के गॉवन का दमै पबाई दार। । 
सामंती के दुनाली से कापि रही चउपाल।
 

शनिवार, 24 सितंबर 2022

शुक्रवार, 23 सितंबर 2022

मंगलवार, 13 सितंबर 2022

रविवार, 14 अगस्त 2022

बघेली मुक्तक

जानी थे सुमर आय पै बराह मानी थे। 
काहू कै नमूंजी करब गुनाह मानी थे।। 
गंगा कबेरी रेबा त मंत्र आंय नहात के 
हम बांस बिरबा तक का बाह मनीथे।। 

शनिवार, 23 अप्रैल 2022

दानी ता दानी उंइ सूम तक का जानाथें।

दानी ता दानी  उंइ सूम तक का जानाथें। 
बड़े अंतरजामी हें बाथरूम तक का जानाथैं।। उनसे खुई कइ के सुंग कण्व न बनाबा 
उंई मंत्र पिंडदान से हूम तक का जानाथैं।। 

बुधवार, 6 अप्रैल 2022

मंगलवार, 5 अप्रैल 2022

चुटकी भर के ज्ञान का

चुटकी भर के ज्ञान का झउआ भर परमान। 
तउअव अपने आप का हंस कहै बिद्वान।। 

गांधी जी अमर हैं गंगा के धारा अस

गांधी जी अमर हैं गंगा के धारा अस। 
देश के माटी मा जन जन के नारा अस।। 
गांधी पढाये जइहैं  सब दिन इसकूल मा 
भारत के भभिस्स  का गिनती औ पहाड़ा अस।। 

रविवार, 3 अप्रैल 2022

कोऊ अमीरी से त कोऊ गरीबी से दुखी है

कोऊ अमीरी से त कोऊ गरीबी से दुखी है। 
कोउ दुसमन से त कोउ करीबी से दुखी है।। 
या दुनिया मा सुख संच हेरे नही मिलय 
कोऊ मिया से ता कोउ बीबी से दुखी है।। 

रविवार, 27 मार्च 2022

उंई चाहाथें देस मा बाउर पइदा होंय

उंई चाहाथें देस मा बाउर पइदा होंय ।
औ उनखे घर मा जनाउर पइदा होंय ।।
एक   बूंद   पानी   न   बरखै  खेत मा
औ सीधे धान नही चाउर पइदा होंय।।

रविवार, 16 अगस्त 2020

श्री शिवशंकर सरस जी

  श्री शिवशंकर सरस जी, बोली के चउमास।  उनसे छरकाहिल रहैं, तुक्क बाज बदमास।।  सादर ही सुभकामना, जनम दिना कै मोर।  रिमही मा हें सरस जी , जस पा...