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बुधवार, 17 अगस्त 2016
गुरुवार, 30 जून 2016
बघेली लोक साहित्य
बघेली लोक साहित्य
जब से मूड़े मा कउआ बइठ है।
अशगुन लये बऊआ बइठ है। ।
इंदिरा आवास कै क़िस्त मिली ही
वा खीसा मा डारे पउआ बइठ है। ।
पर साल चार थे दाना नहीं भा
औ सेंदुर रुपया लये नउआ बइठ है। ।
छै महिना से मजूरी नहीं मिली
वा कखरी मा दाबे झउआ बइठ है। ।
उइ कहा थें देस भ्रष्टाचार मुक्त है
कुर्सी मा जहां देखा तहां खउआ बइठ है। ।
गरीबी से बोलिआय का अंदाज अलग है
उई हंस का बताउथे भतखउआ बइठ है। ।
हेमराज हंस ===9575287490
जब से मूड़े मा कउआ बइठ है। हेमराज हंस ===9575287490
बघेली लोक साहित्य
जब से मूड़े मा कउआ बइठ है।
अशगुन लये बऊआ बइठ है। ।
इंदिरा आवास कै क़िस्त मिली ही
वा खीसा मा डारे पउआ बइठ है। ।
पर साल चार थे दाना नहीं भा
औ सेंदुर रुपया लये नउआ बइठ है। ।
छै महिना से मजूरी नहीं मिली
वा कखरी मा दाबे झउआ बइठ है। ।
उइ कहा थें देस भ्रष्टाचार मुक्त है
कुर्सी मा जहां देखा तहां खउआ बइठ है। ।
गरीबी से बोलिआय का अंदाज अलग है
उई हंस का बताउथे भतखउआ बइठ है। ।
हेमराज हंस ===9575287490
सोमवार, 27 जून 2016
रविवार, 10 अप्रैल 2016
bagheli kavitaसरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा।
बघेली
सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा।
सुन्दर कानी कबरी हिबै मोबाइल मा। ।
क्याखर कासे प्यार की बातैं होती हैं
दबी मुदी औ तबरी हिबै मोबाइल मा। ।
विस्वामित्र मिसकॉल देख बिदुराय लगें
अहा !मेनका परी हिबै मोबाइल मा। ।
नई सदी के हमूं पांच अपराधी हन
जाति गीध कै मरी हिबै मोबाइल मा। ।
कोउ हल्लो कहिस कि आँखी भींज गयीं
कहू कै खुश खबरी हिबै मोबाइल मा। ।
अब ता दण्डकवन से बातें होती हैं
श्री राम कहिन कि शबरी हिबै मोबाइल मा। ।
''हँस ''बइठ हें भेंड़ा भिण्ड बताउथें
सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा।
हेमराज हँस
सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा।
सुन्दर कानी कबरी हिबै मोबाइल मा। ।
क्याखर कासे प्यार की बातैं होती हैं
दबी मुदी औ तबरी हिबै मोबाइल मा। ।
विस्वामित्र मिसकॉल देख बिदुराय लगें
अहा !मेनका परी हिबै मोबाइल मा। ।
नई सदी के हमूं पांच अपराधी हन
जाति गीध कै मरी हिबै मोबाइल मा। ।
कोउ हल्लो कहिस कि आँखी भींज गयीं
कहू कै खुश खबरी हिबै मोबाइल मा। ।
अब ता दण्डकवन से बातें होती हैं
श्री राम कहिन कि शबरी हिबै मोबाइल मा। ।
''हँस ''बइठ हें भेंड़ा भिण्ड बताउथें
सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा।
हेमराज हँस
रविवार, 7 फ़रवरी 2016
baghelipoem ''हँस ''बइठ हें भेंड़ा भिण्ड बताउथें
बघेली
सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा।
सुन्दर कानी कबरी हिबै मोबाइल मा। ।
क्याखर कासे प्यार की बातैं होती हैं
दबी मुदी औ तबरी हिबै मोबाइल मा। ।
विस्वामित्र मिसकॉल देख बिदुराय लगें
अहा !मेनका परी हिबै मोबाइल मा। ।
नई सदी के हमूं पांच अपराधी हन
जाति गीध कै मरी हिबै मोबाइल मा। ।
कोउ हल्लो कहिस कि आँखी भींज गयीं
कहू कै खुश खबरी हिबै मोबाइल मा। ।
अब ता दण्डकवन से बातें होती हैं
श्री राम कहिन कि शबरी हिबै मोबाइल मा। ।
''हँस ''बइठ हें भेंड़ा भिण्ड बताउथें
सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा।
हेमराज हँस
सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा।
सुन्दर कानी कबरी हिबै मोबाइल मा। ।
क्याखर कासे प्यार की बातैं होती हैं
दबी मुदी औ तबरी हिबै मोबाइल मा। ।
विस्वामित्र मिसकॉल देख बिदुराय लगें
अहा !मेनका परी हिबै मोबाइल मा। ।
नई सदी के हमूं पांच अपराधी हन
जाति गीध कै मरी हिबै मोबाइल मा। ।
कोउ हल्लो कहिस कि आँखी भींज गयीं
कहू कै खुश खबरी हिबै मोबाइल मा। ।
अब ता दण्डकवन से बातें होती हैं
श्री राम कहिन कि शबरी हिबै मोबाइल मा। ।
''हँस ''बइठ हें भेंड़ा भिण्ड बताउथें
सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा।
हेमराज हँस
मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016
शौचालय बनवाबा भाई शौचालय बनवाबा। BAGHELI KAVITA
शौचालय बनवाबा
शौचालय बनवाबा भाई शौचालय बनवाबा।
अपने घर के बड़मंशी का बहिरे न बगवाबा। ।
हमरी बहिनी बिटिया बहुअय बपुरी जांय बगारे।
यहैं तकै झुकमुक ब्यारा का वहै उचै भिनसारे। ।
घर के मरजादा का भाई अब न यतर सताबा।
शौचालय बनवाबा भाई शौचालय बनवाबा। ।
फिरंय लुकाये लोटिया बपुरी मन मा डेरातीं आप।
निगडउरे मा बीछी चाबै चाह खाय ले सांप। ।
सबसे जादा चउमासे मा हो थें जिव के क्याबा।
शौचालय बनवाबा भाई शौचालय बनवाबा। ।
तजी सउख मोबाइल कै औ भले न देखी टीबी।
शौचालय बनवाई घर मा अपना हन बुधजीबी। ।
सरकारव कइ रही मदद औ कुछ अपने से लगाबा।
जब घर मा शौचालय होइ ता ही घर कै सज्जा।
तब न खेत बगारे बागी अपने घर कै लज्जा। ।
करा कटौती अउर खर्च कै निर्मल घर बनवाबा।
शौचालय बनवाबा भाई शौचालय बनवाबा। ।
शौचालय बनवाय घरे मा चला गंदगी पहटी।
पाई साँस जब शुद्ध हबा हरहजा रोग न लहटी। ।
चला 'हंस 'सब जन कोऊ मिल के य संकल्प उछाबा।
शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा। ।
सोमवार, 11 जनवरी 2016
ठगी गै जनता खूब। हेमराज हंस
पिछले सत्तर साल से ठगी गै जनता खूब।
नेतन कै गोनियाँ लदी जंतै दोनियाँ दूब। ।
हेमराज हंस
नेतन कै गोनियाँ लदी जंतै दोनियाँ दूब। ।
हेमराज हंस
bagheli जागा जनगण देव।
आरव मिला चुनाव का जागा जनगण देव।
राजनीत ख्यालैं लगी मेर मेर फउरेब। ।
हेमराज हंस
राजनीत ख्यालैं लगी मेर मेर फउरेब। ।
हेमराज हंस
विंध्य का दक्खिन द्वार।।
कोऊ गाना गा रहा मारै कोऊ गोहार।
राजनीत मा रंजा है विंध्य का दक्खिन द्वार।।
हेमराज हंस
राजनीत मा रंजा है विंध्य का दक्खिन द्वार।।
हेमराज हंस
रविवार, 10 जनवरी 2016
bagheli doha ओखे जिव का ब्याध। ।
बिन गोनरी गगरी धरे रही प्यास का साध।
तोहरे निता श्रृंगार रस ओखे जिव का ब्याध। ।
हेमराज हंस
तोहरे निता श्रृंगार रस ओखे जिव का ब्याध। ।
हेमराज हंस
शनिवार, 9 जनवरी 2016
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli doha
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli doha: गाँव गाँव आमै लगा जबसे य अख़बार। मिर्रा तक जानैं लगा सब आपन अधिकार। । हेमराज हंस जय हिन्द
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