जय गनेस सब जन कही जय जय उमा महेश।
सिउ जी के परिवार, अस सुखी रहय य देस।।
*********************************
गनपति जू हैं देस मा, रास्ट बाद के मान।
साक्षी है पूना अबै , अउर तिलककै आन। ।
****************************
भरिन तिलक जी भक्ति मा, देस भक्ति का रंग।
जग मा न हेरे मिली , या इतिहास प्रसंग। ।।
****************************
रिद्धि सिद्धि सुभ लाभ लै ,आबा हे गनराज।
अपना का स्वागत करै ,भारत केर समाज। ।
****************************
धन्न राष्ट्र के रीत का , धन्न है भारत देस।
देस भक्ति के रूप मा ,हाजिर स्वयं गनेस। ।
**************************
******* 2*****************
राम देस कै आतिमा राम देस के प्रान।
हमरे भारत देस कै रामय से पहिचान।।
राम कबिन का शब्द हैं ,राम संत का ब्रम्ह।
हुलकी काही आग हें ,औ प्रहलाद का खंभ। ।
******** 3**************
राम देस के प्रान औ, राम बिश्व के गर्व।
राम ऋचा ऋगवेद कै साम यजुर्व अथर्व। ।
******** 4*****************
राघव मरजादा दिहिन, औ माधव जी कर्म।
दुइ लीखन मा चलि रहा,सत्य सनातन धर्म।।
******** 5*******************
रिमझिम बदरी कइ रही भींजै नगरी गाँव।
मानो भादव कइ रहा कान्हा जनम उराव।।
-------- 6-----------------
महादेव हैं बिश्व मा, समता बादी ईश।
चाहे पूजैं राम जू ,या पूजै दशशीश। ।
**************7*******************
बेल पत्र गंगा जली चाउर चंदन रास।
शंकर जी पूजैं लगा भारत का बिस्वास ।।
****************8*******************
कासी पुनि के सजी ही,दुइ सौ सालन बाद।
गुंजै डमरू शंख औ, हर हर भोले नाद। ।
-------- --9-------------------
किहिस सनातन सब दिना, जन मंगल का गान।
प्राणी मा सद भावना, बिस्व केर कल्यान।।
********** 10********************
भिन्न भिन्न भाखा हईं ,अलग अलग है भेस।
एक सनातन मा गुहा , पूरा भारत देस।।
********** 11*****************
देस भक्ति औ धरम कै, मूल भाबना एक।
उत्तर कै गंगा करै ,दाख्खिन का अभिषेक। ।
****************12*********************
तीर्थ हमारे देश में, हैं संस्कृति के अक्ष।
वसुधैव कुटुम्बं भावना , जिनका पावन लक्ष।।
****************13**************
चह कामिल बुल्के रहैं या रहिमन रसखान।
सब कै मासियानी लिखिस भारत का गन गान। ।
********* 14*****************
उनही सौ सौ नमन जे कीन्हिन जीबन हूम।
बंदे मातरं बोल के गें फाँसी मा झूम।।
------- 15-----------------
जिनखे माथे पूर भा आजादी का जग्ग।
हम भारत बासी हयन उनखर रिनी कृतग्ग।।
-------- 16--------------------
शासक जब करने लगे शोषण अत्याचार।
ईश्वर को लेना पड़ा परसुराम अवतार। ।
********* 17******************
गाँव नगर पूजन भजन दुर्गा जी का बास।
कहूं राम लीला शुरू कहूं कृष्ण कै रास। ।
--------- 18------------------
जहां बिराजीं सारदा धन्न मइहर कै भूम।
भक्तन का तांता लगा नाचत गाबत झूम।।
-------------19------------------------
जहाँ बिराजीं शारदा धन्न मइहर का भाग।
बंदूखै तक बन गईं नल तरङ्ग का राग।।
-------- 20--------------
पाबन मइहर धाम है सिद्ध शारदा पीठ।
कोउ बाहन से जा रहा कोउ आबै हीट। ।
-------- 21-------------
माता जू किरपा किहिन बइठीं आके कंठ।
तब कविता गामैं लगा हेमराज अस लंठ।।
-------- 22--------------
गाँव -गाँव मा जबा देबारे पंडा दे थें हूम।
लोक धरम कै चैत मा चारिव कईतीधूम। ।
------- 23------------
आठैं अठमाइन चढ़ै खेर खूंट का भोग।
जलसा का कलसा धरे ''राम जनम का जोग ''। ।
------- 24-------------
बाना खप्पड़ कालका जबा देवारे हांक।
बिन प्रचार के चल रही लोक धर्म कै धाक।
------- 25---------------
गाँव गाँव बोबा जबा पंडा दे थें हूम।
लोक धरम कै देस मा चारिव कइती धूम।।
------- 26----------------
नारी सूचक गालियां दिन भर देते साठ।
वे भी सादर कर रहे दुर्गा जी का पाठ।।
-------- 27 --------------
इंदिरा सुषमा चावला, औ मेधा अस तेज।
हे ईशुर मोरे देस मा, पुन पुन उनही भेज।।
***********28*********************
या लोपा मुद्रा गारगी , मैत्रेयी का देस।
जहां नारि कै ताड़ना, अत्याचार कलेस। ।
***********29**********************
द्याखा मध्य प्रदेश मा, नारी का सम्मान।
अब महिला के हाथ मा, मदिरा केर दुकान। ।
***********30**********************
बिटिआ बेदन कै ऋचा साच्छात इस्लोक।
दुइ कुल का पामन करइ अउ साथै मा कोंख।।
**पर्यावरण के दोहा 31**************
परयाबरनी प्रेम कै देखी भारतीय खोज।
अमरा के छहियां करी अपना पंचे भोज।।
----- 32--------------
पीपर मा बसदेव जू बधी बरा के सूत।
तुलसी जू कै आरती आमा मानैं पूत।।
-------- 33---------------
नीम बिराजैं सीतला औ जल बरुन का बास।
परयाबरन मा पुस्ट है भारत का बिस्वास।।
--------- 34-----------------
हमरे भारत का रहै चह कउनौ तेउहार।
सब दिन हम पूजत रह्यन बिरबा नदी पहार। ।
-------- 35-------------------
फुन्नी ता चिकनान ही लगा है जर मा रोग।
भारत अउर बसंत का या कइसा संजोग। ।
******** 36******************
युग नायक होते नही किसी जाति में कैद।
वे बीमार समाज के हैं शुभ चिंतक वैद। ।
********* 37*******************
बिन गोनरी गगरी धरे रही प्यास का साध।
तोहरे निता श्रृंगार रस ओखे जिव का ब्याध। ।
---------- 38----------------------
कहूं कहूं बूड़ा चढा भरे खेत औ ताल।
हमरे बिंध मा चल रही बदरी कै हरताल।।
--------- 39-------------
न सामन कै हरिअरी न नदिअन मा धार।
बइठ किसनमा मेंड़ मा गदिआ धरे कपार।।
-00000-----40-------------------
दादू के सुख संच मा जे मानय आनंद।
अम्मा अस कउनौ नहीं दुनिआ का संबंध।।
************41*****************
अम्मा अपने आप मा सबसे पाबन ग्रंथ।
माता से बढि के नही कउनौ ज्ञानी पंथ।।
-00000 42--------------------
चीता आबा देस मा सीगट भा नाराज।
कहिस कि अब कइसा बनब जंगल का महराज। ।
----------- 43-------------------
सीगट कै ही चाहना रहै जंगली शान।
बन का राजा जब रहै सीगट लोखरी श्वान। ।
************44**************************
जंगल मा साहुत बनी ,सीगट लोखरी केर।
देख देख बिदुरा थै ,बन का राजा शेर।।
--------- 45-----------------
दहसत माही कलम ही, कागद करै रिपोट।
राजनीत कब तक करी, गुंडन केर सपोट।।
-------- 46------------------
चक्की पीसैं के निता लालू धधे रिसान।
ताकी जनता का मिलै ठाहर सुद्ध पिसान।।
-------------47------------------------
काहू का घंटा बजै औ काहू का ढोल।
पै किसान के खेत से होइगै यूरिया गोल।।
------- -48------------------
जय जय पाबन अबध कै जय जय भारत बर्ष।
मंदिर के निरमान का जन जन मा है हर्ष।।
------- 49--------------------
कृष्णपक्ष भादव दुइज का दिन सुभ भा बाह।
जब पूंछी इतिहास ता देई वहै गवाह।।
------- 50-------------------
सदिअन के बलिदान का आजु मिला तै मान।
अबधपुरी मा सुरू भा मंदिर का निरमान।।
--------- 51-------------------
केत्तेव पुरखा गुजरिगें लये हिदय मा हूक।
आजु तृप्त भै आतिमा लउलितिया कै भूख।।
-----------52----------------
अपने रीत रिबाज से ओही आबै बास।
ज्याखर गुरुद्वारा हबै चीनी दूताबास।।
-----------53-----------
राम देस के प्रान औ राम राष्ट के गर्व।
राम ऋचा ऋग्वेद कै साम यजुर्व अथर्व।।
----------54--------------
अब भादों के चउथ का होय दुइज से ईस।
वा कलंक ढोउत फिरै या सुभ सुदिन रहीस।।
-----------55---------------
पुन स्थापित अबध मा राम सहित सब अंस।
पूरी दुनिया कइ रही जय जय भारत बंस।।
-----------56--------------
भले करोना काल है, पै संबत सुभ नीक।
पूर पांच सै बरिस मा अबध कै भै तस्दीक।।
------------57-----------------
हमरे भारत देस मा कबिता बड़ी लोलार।
छत्रसाल राजा बने कबिता केर कहार।।
------------58----------------------
मन माही माहुर भरे मुंह मिसरी अस मीठ।
अपना के बेउहार का लगै कहूं न डीठ।।
-----------59------------------------
हमरे देस मा होइ चुके अइसा निर्मल गाँव।
लोटिआ लै बाहर चलीं बहू बराये पांव।।
----------60-----------------------
चाह वाम पंथी रहै य दाम पंथ के ढ़ोंग।
शोषन किहिन गरीब का जइसा घेंटी घोंग।।
----------61----------------------
गाँव गाँव आमै लगा जबसे य अख़बार।
मिर्रा तक जानैं लगा सब आपन अधिकार। ।
-----------62--------------------------
बड़े जबर संगठन हें जात बाद के हेत।
तउ बिटिया के बाप का बिकिगा सगला खेत। ।
----------63--------------------------
पता नही कउने जघा को कर दे इंसल्ट
घर से निकरा पहिर के बिन कालर कै सल्ट। ।
----------64-------------------------
बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र का चित्र।
गंधइलन के कान मा खोंसा फूहा इत्र । ।
-----------65--------------------
जेखे पीठे म बजा बारां का घरियार।
ओहिन की दारी सुरिज कढ़ई खूब अबिआर।
-----------66-------------------------
पेटहा जब मुखिया बना लुक लुक के खुब खाय।
अस्पताल हिंठै लगा तउ न मन पछताय। ।
----------67--------------------------
राखी टठिया मा धरे बहिनी तकै दुआर।
रक्षा बंधन के दिना उई पहुंचे ससुरार।।
----------68-----------------
खजुलैया लइके मिला लडकइया का प्रेम।
देखतै जिव हरिआय गा बिसरा सगला नेम।।
-----------69------------------
खजुलइयां लइके मिला, हमरे गांव का नेम।
द्यखतै जिव हरिआय गा, परिपाटी का प्रेम।।
70
सनकिन सनकी बात भै आगू पाछू देख।
आँसू माही भीज गय तब काजर कै रेख ।।
71
हाथे मा मेंहदी रची लगा महाउर पाँव।
सावन मा गामै लगा कजरी सगला गांव।।
---------- 72----------------------
पाथर परिगा फसल मा अब भा मरे बिहान।
हाय !!दइव !या का किहा कहि के गिरा किसान। ।
*************73********************
करहा आमा नीझरि गा ठूठ ठाढ़ मउहार।
चौपट होइ गै फसल सब अइसा मारिस वार। ।
*************74****************
टप टप अँसुआ बहि रहें खेतिहर परा सिकिस्त।
खाद बीज का ऋण चढ़ा औ टेक्टर कै क़िस्त। ।
---------- 75-------------------
चाहे हेन ज्याखर रहै सत्ता औ सरकार।
कउन गडारी गाडरय नही बनाबै बार। ।
--------- 76---------------------------
बहुत बड़े धर्मात्मा बड्डे धन्ना सेठ।
पै ओखर नोकर रहैं बपुरे भूखे पेट।।
----------77------------------------------
पिछले सत्तर साल से ठगी गै जनता खूब।
नेतन कै गोनियाँ लदी जंतै दोनियाँ दूब। ।
----------78------------------------
आरव मिला चुनाव का जागा जनगण देव।
राजनीत ख्यालैं लगी मेर मेर फउरेब। ।
----------79--------------------------
कोऊ गाना गा रहा मारै कोऊ गोहार।
राजनीत मा रंजा है विंध्य का दक्खिन द्वार।।
-----------80--------------------------
गाहिंज करै गरीब कै करय दीन का ख्याल।
'अन्त्योदय' के मंत्र हें पंडित दीनदयाल। ।
----------81-------------------------
जे कबहूँ खाइन नही, रोटी भाई साथ।
देस मा उइ बांटत फिरैं जगन्नाथ का भात। ।
--------- 82--------------------------
बेउहर के भीती लिखा ''अति गरीब परिवार ''।
पानी पानी होइ रही बाँच बाँच सरकार।
-----------83--------------------------
खड़ी जलाका जेठ कै औ भै बिजली गोल।
कूलर से बिजना कहिस जान्या हमरिव मोल। ।
-----------84---------------------------
मुंह माही महिपर धरे मन मा भरे कुनैन।
अहित करै जे आन का ओही सुक्ख न चैन। ।
-----------85-------------------------
हमरे देस मा चलि रहा नशा मुक्ति अभियान।
आधी रात तक अब खुली मदिरा केर दुकान। ।
-----------86-----------------------
मघा नखत बदरी करय धरती का खुशहाल।
महतारी के हाथ कै जइसा परसी थाल।।
87
ऊपर दउअय रुठि गा औ नीचे दरबार।
धरती पुत्र किसान कै को अब सुनै गोहर। ।
----------88----------------------------
धन्ना सेठन के निता गर्मी बरखा जाड़।
हमही एक मउसम हबै रोटी केर जुगाड़। ।
89
कउड़ा के नियरे संघर अपना सेकी देह।
हम धांधर के आग का लिखी उरेह उरेह।।
90
फसलन मा पाला लगा परी ठंड कै मार।
भितरघात मउसम करै खेत कहै आभार।।
----------91--------------------------
नेता जी के नाव से उभरै चित्र सुभाष।
अब के नेता लगि रहें जइसा नहा मा फांस।।
-----------92-------------------------
चुटकी भर के ज्ञान का झउआ भर परमान।
तउअव अपने आप का हंस कहै बिद्वान।।
------------93-------------------------
सब्द बह्म का रूप है सब्द धरै जब भेष।
मैहर मा एक संत हें पंडित रामनरेश।।
000000----94--000000000000
विवेका नंद
पूज विवेकानंद मा है भारत का गर्व।
उनखे बसकट मा रमा जुवा दिवस का पर्व।।
--------- 95----------------------
रचिन विवेकानंद जी एक नबा इतिहास।
भारत केर महानता का बगरा परकास।।
---------96------------------
जुरे शिकागो मा रहें दुनिया के बिद्वान।
एक सुर मा ब्वालैं लगें जय जय हिन्दुस्तान।।
------------97-----------------
चाह शंकराचार हों चाह विवेका नंद।
भारत के जसगान का रचिन ऋचा औ छंद।।
------------98----------------------------
अस छरकाहिल मनई भा निठमोहिल बेउहार।
अब ता कारिव के परे हिरकै नहीं दुआर।।
------------99-----------------------
पूरी दुनिया कइ रही जउने रंझ बिलाप।
कारन लुच्चा चाइना गुड़ का कोल्हू बाप।।
100
बिस्व मा हाहाकार है धरी मउत कै सीन ।
वाखर जुम्मेदार है घिनहा घाती चीन।।
101
दुस्ट चाइना बिस्व मा छोड़िस अइसा गाज।
त्राहि त्राहि जनता करै किलपै सकल समाज।
-----------102--------------------------
नीच चीन के पाप का, देस रहा है भोग।
रजधानी से गाँव तक बगरा छुतिहा रोग।।
103
कहां बची केसे बची, लुकी कहां ठे ओंट।
पेट धंधा से लगि रहा, हमी करोना छोटे।।
----------104-------------------------------
कहां धरोगे ऎसे धन को जिसमें लगी हो आह।
स्वयं ढूढ़ता वह चलने को घर में बारह राह।
----------105---------------------------
सूरज नेता विश्व का सबका पालनहार।
मानसून हित तिप रहा करने को उपकार। ।
----------106------------------------------
जले घाव पर हो रहा मिर्ची का आघात।
जैसे कोई पूंछ रहा हो 'भीमराव 'से जात। ।
-----------107---------------------
जहाँ व्यवस्था ने कसी कस्तूरी की घींच।
माणिक दादा ने कहा उच्च कोटि के नीच। ।
------------108------------------------
आंसू आह कराह वेदना औ पीरा संत्रास।
श्रम सीकर की टीस से होता सत्यानाश। ।
-----------109----------------------
जब तक मिल जाता नहीं अपना विन्ध प्रदेश।
गंगा अजीज चिंतालि को श्रद्धांजलि है शेष।।
-----------110---------------------
अचरा मां ममता धरे, नयनन धरे सनेह।
माँ शारद आशीश दे,शक्ति समावे देह॥
-----------111
रहिमन पनही राखिये,बिन पनही सब सून।
दिल्ली से है गांव तक, पनही का कानून॥
112
गोबर से कंडा बनै, औ गोबरै सेे गउर।
आपन आपन मान है,अपने अपने ठउर॥
113
जेखे पीठे मां बजा,बारा का धरियार।
ओहिन की दारी सुरिज,कणै खूब अबियार॥
114
रजधानी मां गहग़़डडृव,खूब पटाखा फूट।
बपुरे हमरे गांव के,धरी बडेरी टूट॥
115
हमरे लोक के तंत्र का,देखा त अंधेर।
साहब आगू भींज बिलारी,चपरासी का शेर॥
116
गददारी उंइ करथें, खांय देस का नून।
लोकतंत्र के देह मां,भ्रस्टाचार का खून॥
117
गदियन मां मेहदी रची,लगा महाउर पांव।
सावन मां गामय लगा,कजरी सगला गांव॥
118
अस कागद के फूल मां,गमकैं लाग बसंत।
जस पियरी पहिरे छलै,पंचवटी का संत।
119
जुगनू जब खेलिस जुआं,लगी जोधइया दांव।
पुनमांसी पकडै.लगी,अधियारे के पांव ॥
---------120 -----------------
बड़े अदब से बोलिए, उनखर जयजयकार।
लोकल गुंडन कै हियां चलत हिबै सरकार ।।
*********************************
मुलुर मुलुर जनता लखै , बन के बाउर मूक।
साइत ज्यतबव जाय उड़ , अउर जोर से फूंक। ।
121
हा हजूर हम गॉव के शुद्ध देहाती ठेठ।
अपना अस काटी नहीं हम गरीब का पेट। ।
122
चह कामिल बुल्के रहैं या रहिमन रसखान।
सब कै मासियानी लिखिस भारत का गन गान। ।
123
भारत के मरजाद कै जेहि न एकव ग्यान।
तउ चाहा थी ''हेलना'', बेटा बनै महान। ।
124
सदा गरीबों ने लड़ा लोक धर्म का युद्ध।
पर कुलीन की कोख से आये सब दिन बुद्ध।।
125
मॅहगाई मा एक सम ही सब कै सरकार।
कउन गड़ारी गड़ारै नहीं बनाबै बार। ।
----------126-----------------
जे आफत मा कइ रहें आपन उल्लू सीध।
उइ दानव से नीक हें हमरे देस के गीध।।
-----------127------------------
शासक जब करने लगे शोषण अत्याचार।
ईश्वर को लेना पड़ा परसुराम अवतार। ।
----------116--------------------
मिला सदा इस देश को बिप्र का आशीर्वाद।
चाहे परसुराम हों य मंगल अटल अजाद।
---------128----------------
ठाँव ठाँव करी परी बढ़े करोना केस ।
भारत माता बिकल ही बांच सोक संदेस। ।
**********129********************
मिली करोना कै दबा, बरियत्तन हे राम।
अब ता चीन के पाप का, होई काम तमाम।।
***********130*************************
परी करोना रोग कै, दुनिया भर मा हाक।
मुँह मा मुसका बांध के, दुइ गज रखी फराक।।
************131**********************
शुभ सदेश मिलते नहीं कहीं किसी भी ठौर।
हे ! प्रभु कब तक चलेगा श्रद्धांजलि का दौर। ।
************132*************************
बढ़ा करोना का कहर सावधान प्रिय मीत।
मुंह ढकें दूरी रखें होगी अपनी जीत। ।
***********133***********************
देख रहा है देस या उनहूँ कै करतूत।
माओ बदिन के निता जे हैं साहुल सूत। ।
***********134***********************
बहुत सहि चुका देस या नक्सल अत्याचार।
अब ता ओखे रीढ़ मा हरबी कारी प्रहार। ।
***********135**************************
सिंघासन बिदुराथै दइ म्याछन मा ताव।
जनता सिसकै देस मा महगाई के घाव। ।
***********136*************************
बहिनी से नरकजी तक जे न करैं लिहाज।
नारी के सम्मान कै ओऊ देंय अबाज। ।
-------- 137----------------
घ्वान्घा मा तइती बधी मुदरी नव ग्रह केर।
बागै पीर मजार तउ लिहिस सनीचर गेर।।
**********138*********************
बेमतलब के बहस मा दहकैं ठोंकैं ताल।
महगाई मा मीडिआ पूँछै नहीं सबाल। ।
**********139***********************
महगाई जब जब किहिस जनता का हलकान।
हष्ट पुष्ट सरकार तक लइ लीन्हिन बइठान। ।
***********140***********************
चुटकी भर के ग्यान का, झउआ भर परमान।
तउअव अपने आप, का हंस कहै बिद्वान।।
***********141***********************
भारत माता ही बिकल,सुन के दुःख सन्देश।
सेना पति का खोय के, शोकाकुल है देस।।
**********142***********************
टूटी फूटी सड़क मा, टोल बरिअ र शुल्क।
जय हो नेता आप कै, सिसकै बपुरा मुल्क। ।
**********143************************
अपना कहि के चल दिहन, टी बी मा दुइ टूक।
कोउ भरा उराव मा, उचै काहु के हूक । ।
*********144***************************
मॅहगी जबक चीज भै, महग तेल पिटरोल।
तउ रजधानी मउन ही, कढ़ै न एकव बोल। ।
**********145*************************
जनता काही बजट या, लागा थै या मेर।
जइसा क़्वामर पान मा, ब्याड़ै लउग चरेर। ।
**********146*************************
सम्पाती के दंभ कै, द्याखा ऊंच उड़ान।
जो जटायु अस उड़त ता, करत देस गुनगान। ।
***********147*************************
गौरव शाली कुर्सियां, बदमिजाज आसीन।
समझ रहे वे स्वयं की, मेघा दक्ष प्रवीन। ।
***********148***************************
दियना कहिस अगस्त से, दादा राम जोहार।
तुम पी लिहा समुद्र का, हम पी ल्याब अधिआर। ।
**********149*****************************
दस दुष्कर्मिन का टिकस, हत्तियार का बीस।
लोक तंत्र के सदन के, उचै हिदय मा टीस। ।
***********150***************************
केतू घिनही लग रही, राजनीत कै चाल।
टुकुर टुकुर जनता लखै, दइके नाक रुमाल। ।
***********151*************************
दहसत माही कलम ही, कागद करै रिपोट।
राजनीत कब तक करी, गुंडन केर सपोट। ।
***********152**************************
नारी के सम्मान का, नवरातर है पर्व।
ताकी हम पंचे करी, अपने आप मा गर्व। ।
**********153************************
हे ! पुरुषोत्तम राम जू ,हती दशानन मार।
ताकी कुछ हलुकाय अब, भू मइया का भार। ।
**********154**********************
गाँधी वाद है बिस्व मा एक बिचार अजोर।
जिनखे बल आई हिआ, आजादी कै भोर। ।
***********155**************************
जिआ सौ बरिस पार तक, जननायक परधान।
भारत के खातिर हयन, अपना शुभ बरदान। ।
**********156*****************************
जेखे आपन बिछुरिगें, सुधि म भीजै आँख।
उनही है श्रद्धांजली, के दिन पीतर पाख।।
**********157***************************
पुरखन के सम्मान का, पितर पाख है सार।
जे हमका जीबन दयिन,उनखे प्रति आभार। ।
*********158**************************
राष्ट्र गान के हिदय मा, है ज्याखर अस्थान।
पुनि के चाही प्रान्त वा, आपन विंध्य महान। ।
*********159****************************
बिन इस्नु बिन पाउडर, फागुन गमकै गंध।
द्यांह धरे बगै जना , रीत काल का छंद।।
***********160**********************
अस कागद के फूल मा, महकैं लाग बसंत।
जस पियरी पहिरे छलय , पंचबटी का संत।।
**********161**************************
फगुनहटी बइहर चली ,गंध थथ्वालत फूल।
भमरा पुन पुन खुइ करै, तितली पीठे गूल। ।
**********162*************************
मन मेहदी अस जब रचा, आँखिन काजर कोर।
सामर सामर हाथ मा, जइसन गदिया गोर। ।
----------163----------------------
असमव उनखे बाग, मा नहीं कोयलिया कूंक।
मन मसोस रहि जाय औ, उचय हदय मा हूक। ।
***********164**************************
सड़क छाप हम आदमी, उइ दरबारी लोग।
हम ता बिदुर के साग अस अपना छप्पन भोग। ।
***********165*************************
भेद भाव बाली रही , ज्याखर क्रिया कलाप।
हर चुनाव के बाद वा, बइठे करी बिलाप। ।
************166**********************
नेतन काही फ्री मिलै , ता लागै खूब उराव।
जनता के दारी उन्ही , लागै मिरची घाव। ।
***********167************************
नेता जी के नाव से , उभरै चित्र सुभाष।
अब के नेता लागि रहें, जइसा नहा मा फास।।
************168***************************
गांव गांव मदिरा बिकै , दबा शहर के पार।
कउने सब्दन मा करी अपना का आभार। ।
*************169***********************
दारू बंद बिहार मा, लागू कड़क अदेस।
भर धांधर जो पिअय खय ,आबा मध्यप्रदेश।।
आबा मध्य प्रदेश ,हिया ता खुली ही हउली।
पानी कै ही त्रास खुली मदिरा कै बउली। ।
पी के चह जेतू मता ,कउनव नहीं कलेस।
कबहूँ पाबन्दी नहीं अपने मध्य प्रदेश। ।
*************170**************************
बड़े अदब से बोलिये, उनखर जय जय कार।
गांव- गांव मा चल रही , गुंडन कै सरकार।।
************171***************************
चह जेही थुर देंय उइ ,याकी कहैं कुलांच।
नेता जी के नाव से, अयी न कऊनव आंच। ।
***********172**************************
सुनिस घोसना कापि गा, थर थर बपुरा पेण्ट।
खीसा का बीमा करी , जेब कतरा एजेण्ट।।
***********173**************************
सरबर मा चाकी परै, जब देखा तब जाम।
ओखे बिन सब अरझ गें , बड़े जरुरी काम। ।
***********174***************************
धन्न बिन्ध्य कै भूमि या, धन्न हें बाबूलाल।
गदगद माटी होइ रही , गांव गली चौपाल।।
***********175***********************
भूखों की ए बस्तियाँ , औ फूलों के जश्न।
ओ माली तेरी नियत पर ,क्यों न उठेंगे प्रश्न। ।
************176*********************
जंगल बिरबा कटरिगे ,मिली कहा अब मित्र।
फेसबुक मा द्याखत रही , निल कण्ठ के चित्र। ।
***********177*************************
नील कंठ औ शमी मा ,देखा गा देवत्व।
दसराहा का शुभ हबै ,दरसन करब महत्त्व। ।
***********178***************************
अपने छाती हाथ धर , खुदै करा महसूस।
अइसन कउन किसान है, जे नहि दीन्हिस घूस। ।
**********179********************************
जिधना से भृगु जी हनिंन , श्री हरि जू का लात।
लछमी जी रिसिआय के, पेल भगीं गुजरात।।
*********180**************************
बहुत बड़े धर्मात्मा बड्डे धन्ना सेठ।
पै ओखर नोकर रहैं बपुरे भूखे पेट।।
*********181*****************************
जे कबहूँ खाइस नही रोटी भाइन साथ।
ओखे हाथे मा हबै जगन्नाथ का भात। ।
**********182**********************
कबहूँ कुरुआ मा नपयन ,कबहूँ नपयन कुरई।
बासमती उनखे निता, हमरे निता कोदई। ।
**********183*********************
हाँ हजूर हमहूं हयन , फाँसी के हकदार।
हमसे कहबररै नहीं , रिक्शा काहीं कार। ।
**********184*********************
मघा नखत बदरी करय धरती का खुशहाल।
महतारी के हाथ कै जइसा परसी थाल।।
**********185*************************
नीचन मा सत्सङ्ग का , एकव नहीं प्रभाव।
जस घिनहाई मा रमै , कुकूर सुमर सुभाव।।
**********186***********************
राजनीत औ मीडिआ ,दुनहु का दिल फ्यूज।
इनही चाही बोट औ ,उनही ब्रेकिंग न्यूज़। ।
*********187***********************
अंतस मा पीरा करै, अपनेन का बेउहार।
लंका जीते राम जू , औ गें अबध मा हार। ।
**********188*********************
चोरन का चोट्टा दिखय ,औ शाहन का शाह।
पै झरहन कै रात दिन ,सुलगै छाती डाह। ।
**********189*********************
हाथे मा मेंहदी रची ,कर स्वारा सिगार।
गउरी पूजैं का चली ,सजी सनातन नार। ।
**********190*************
भले छह्याला मा रहा ,सत्त सनातन बीज।
आपन सत छाड़िस नहीं ,परिपाटी अस चीज। ।
**********191**********************
चुनकी मा चुकरी धरे ,भरे सतनजा भूंज।
दाऊ कै मइया चली , अगना हरछठ पूज।।
**********192********************
छुला जरिया कांस औ ,पसही महुआ फूल।
हरछठ प्रकृति अभार कै ,हिबै भाबना मूल। ।
*************************
**********193**************
भारत माता के रतन लाड़िल अटल लोलार।
जन जन के हिरदय बसें दीन्हिस देस दुलार।।
*********194*************************
अटल बिहारी देस के उज्जर एक चरित्र।
उनखे अस को देस मा भला बताबा मित्र।।
*********195**********************
भारत के नेतन निता अटल एक इसकूल।
देस देय श्रद्धांजली सादर आंखर फूल।।
*********196********************
आसव के सामन मा सजनी , भा येतू बदलाव।
तुम लगत्या हा खजुराहो अस ,औ हम देवतलाव।।
*********197*******************
धनहन मा दर्रा परा ,पाबस मरै पिआस।
दम्भी बादर कइ रहें , सामान का उपहास।।
*********198****************
ऊपर दउअय रुठि गा ,औ नीचे दरबार।
धरती पुत्र किसान कै , को अब सुनै गोहर।।
********199*****************
रुपया किलो अनाज मा ,जबसे जांगर टूट।
दिन भर ख्यालै तास उइ ,साँझ पिअयं दुइ घूंट। ।
********200************************
दिल्ली ललकारै लगी ,सुन रे बीजिंग नीच।
जो तै ब्रातासुर हये , ता हम बज्र दधीच। ।
*********201*********************
हर हर महादेव से , गूंज उचा गलबान।
ललकारिस जब इंडिया , चीनी पेल परान। ।
*********202**********************
दगा बाज ओ चाइना ,तोही दई तिलाक।
अब भारत के हद्द मा , चली न एकव धाक। ।
*********203*********************
बांसठ का भउसा नहीं , सुन ले जाहिल चीन।
अब भारत समरथ हबै , घुस के लेइ बीन। ।
********204***********************
कोउ हिंदू मुस्लिम करै ,कोऊ आर्य अनार।
दोउ जन का चलि रहा ,है घिनहा ब्यापार। ।
*********205********************
किहिन मजुरै देस का ,सबसे ज्यादा काम।
तउअव जस मानै नहीं ,मालिक नामक हराम।।
*********206***********************
धोखा दीन्हिस इंडिया ,भरी बिपत के ठाँव।
तब आंसू पीरा लये , भारत पहुंचा गांव। ।
*********207**********************
हमरे हियाँ गरीब कै, सब दिन आँखी भींज।
धन्ना से ठ कै आत्मा , कबहूँ नहीं पसीझ। ।
*********208**************************
रोटी से बढ़ के हिबै ,जेखे नित अमलास।
वा कइसा अनुभव करी ,पीरा आंसू त्रास।।
*********209*******************
हमरे हियाँ मनइन कै ,गजब निराली शान।
पेटे मा दाना नहीं , मुँह मा दाबे पान। ।
*********210*****************
भाई चारा प्रेम का , चला लगाई रंग।
तबहिन अपने देस मा बाजी झांझ मृदंग। ।
********211*********************
जनता से बढ़ के नहीं ,लोकतंत्र मा धाक।
रय्यात से गर्रान जे , बागा रगड़त नाक।।
*******212********************
क्यत्ता बड़ा बिचित्र है ,देस भक्त दरबार।
जे हाँ मा हाँ न कही ,वा घोसित गद्दार। ।
********213***********************
बामपंथ अस जाड़ है पूंजीपति कस पूस।
उनखे सोसन दमन मा, सूरज केर जलूस। ।
********214*******************
हमरे देस मा होइ चुकें ,अइसा निर्मल गाँव।
लोटिया लै बाहर चली , बहू बराये पाँव।।
********215*********************
आजादी के दिआ माँ, भरिन जे बाती तेल।
भारत रतन सपूत हैं ,श्री सरदार पटेल। ।
********216************************
दुनिआ में अनमोल क्षण ,होता माँ का साथ।
माँ ही अबध की साँझ है ,माँ कशी का प्रात।
*********217********************
जीवन में भरता रहे , रंगोली सा रंग।
उगे भाग्य का भास्कर ,लेकर नई उमंग। ।
*********218***********************
जिधना जमुना जी किहिन, यम के तिलक लिलार।
भाई बहिन के प्रेम कै , बन गय दुइज लोलर। ।
***********219*************************
हयी हमारे देस मा , बहिनी बिटिआ पूज।
भाई बहिन के प्रेम का ,पाबन भाई दूज। ।
************220********************
ईसुर से बिनती करी , यहै लालसा मोर।
अपना का जीबन रहै , जगमग सदा अजोर। ।
************221*******************
जुगनू जब खेलिस जुआं , लगी जोधइया दाव।
पुनमासी पकड़ै लगी , अधिआरे के पाँव। ।
***********222*********************
हमरे तिथ तिउहार मा , जब से चढ़ा बजार।
हम बांसुरी का भूल के , किहन बरूद से प्यार। ।
***********223**************************
चारिव कइती लगी है ,मोरे देस मा जोंक।
जे नहि चूसै पा रहा , वहै रहा है भोंक । ।
**********224**********************
हे लछिमी जू आइये , साथै सिरि गनेस।
मोरे भारत देस मा , दालिद बचै न शेष।।
************************
जिधना से भृगु जी हनीन ,श्री हरि जू के लात।
लछमी जू रिसिआय के , चली गयीं गुजरात। ।
**********225*************************
दियना कहिस अगस्त से, दादा राम लोहार।
तुम पी गया समुद्र का ,हम पी ल्याब अधिआर। ।
दीपदान कै लालसा , तीरथ का अनुराग।
चित्रकोट कोउ जा रहा कोऊ चला प्रयाग। ।
**********226********************
धरमराज कै फड़ सजी , चलै जुआं का खेल।
गाँव गाँव मा झउडि गय , शकुनी बाली बेल। ।
*********227******************
राबन के भय से लुका , जब से बइठ कुबेर।
तब से धनी गरीब कै अलग अलग ही खेर। ।
********228*****************
उल्लू का खीसा भरा , छूंछ हंस कै जेब।
या भोपाल कै चाल की, दिल्ली का फउरेब। ।
*********229****************
जब सागर का मथा गा ,कढ़े रतन दस चार।
ओहिन मा धन्वन्तरी , मिलें हमी उपहार। ।
*********230***********************
दुनिआ भर कै औषधी , रोग बिथा संताप।
धनबन्तरि का सब कहै , आयुर्बेद का बाप। ।
**********231****************
तिली मूंग उर्दा सरा , भा यतरन झरियार।
बरा मुगउरा के निता , परी कहाँ से दार। ।
**********232*********************
भारत कै पहिचान हें ,राम बुद्ध औ कृष्न।
इन माही स्वीकार नहि ,कउनव चेपक प्रश्न।।
*********233************************
हिन्दी डाक्दरी पढ़ रही,गदगद मध्यप्रदेस।
पै अंगरेजी से लड़ै , हाई कोट मा केस।।
*********234*******************
उइ ठेगरी लगबा रहें मार मार के ख्वाँग।
औ जनता बिदुराथी देखि देखि के स्वाँग। ।
********235********************
ख़बरदार होइ के मिल्या बहुत न मान्या सूध।
वा गुलदस्ता मा धरे है गोली बम बारूद।।
*********236****************
जेही सब मानत रहें जादा निकहा सूध।
ओखे डब्बा म मिला सबसे पनछर दूध।।
*********237******************
गदिअय खजुलइया धरे, कजरी गाबै पर्व।
अपने तिथ तिउहार का, गाँव समेटे गर्व। ।
********238************
साहब सलाम औ पैलगी, गूंजै राम जोहर।
अबहूँ अपने गाँव मा, बचा हबै बेउहार। ।
*********239*************************
भाई चारा प्रेम का खजुलइयां तिउहार।
बढ़ै अपनपौ देश मा मेल-जोल बेउहार। ।
*********240****************
छुरा घोंपते पेट में चढबाते परसाद।
जैसे लेखनी पूजता हो कोई जल्लाद। ।
********241******************
धर फूलों के बीच में जिसने ठोकी फ़ांस।
हमने देखा आँख से उसका होते नाश। ।
********242*******************
त्राहिमाम जनता करय गुंडा हाकै राज।
मुड़धारियन के कण्ठ से निकरै नही अबाज। ।
*******243*******************
बने हितैषी घूमते रचते नाना ढोंग।
शोषण करते जाति का स्वयं जाति के लोग। ।
********244*********************
जिसने कभी विकास पर दिया तनिक न ध्यान।
जाति वाद उनके लिए सत्ता का सोपान। ।
*********245******************
'हंस ' योग्यता का सदा रहा सुखद परिणाम।
अफजल को फाँसी मिली राष्ट्राध्यक्ष कलाम। ।
**********246***********************
भले अभावों से सदा रहे जूझते जंग।
पर जीवन के चित्र में हो ईमान का रंग। ।
**********247**********************
उनखर हिबै समाज मा सबसे लम्बी पूछ।
जे बैभव से भरे हें संवेदना से छूछ। ।
**********248***********************
लेखनी जब करने लगी कागद लहू लुहान।
ब्रह्म शब्द तक रो पड़ा धरा रह गया ज्ञान। ।
**********249**********************
बपुरा सुविधा संच का तरसै हिंया मजूर।
अपना का आँसै नही वा भर मुंह कहै हजूर। ।
**********250*********************
सत्ता अउर साहित्त कै बस येतू बिरदन्त।
उनखे कई 'जयन्त ' औ हमरे ठई ''दुष्यंत "। ।
*********251************************
यहाँ पसीना देश को देता पूरी क़िस्त।
पता करो क्यों आज भी वो है पड़ा सिकिस्त। ।
*********252***********************
दशा देखिये श्रमिक की या उसका उन्माद।
पीड़ा में मावाद है मुंह में जिन्दावाद। ।
********253***********************
है प्रत्यक्ष प्रमाण सी , श्रम की साधक आह।
खड़ा हुआ ये ताज है, वो हो गये तवाह। ।
********254**************************
ऐसा जीवन दीजिये हे राम तुम्हें सौगन्ध।
मेरे रिश्तों से कभी आये न दुर्गन्ध। ।
*******255*******************
घातक भ्रष्टाचार से यहाँ मिलावट खोर।
करते है ये देश का तन मन धन कमजोर। ।
*********256*********************
भारत माही जब मची सामाजिक दहचाल।
मानववाद लय आय गें पंडित दीन दयाल।।
**********257*******************
अपने तीरथ बरथ मा राष्ट्र वाद का प्रेम।
एकात्म के ग्रंथ मा सबका हित औ क्षेम।।
**********258************************
बसै देस कै आतिमा टोला गाँव देहात।
पंडित जी के सूत्र हें जगन्नाथ अस भात।।
**********259**********************
राष्ट्र वाद के डाकिया एकात्म के मूल।
पंडित जी शतशत नमन करै बघेली फूल।।
*********260************************
चाहे ये सत्ता रहे या कि और विधान।
पंडित दीनदयाल का बिखरे न अभियान। ।
**********************************
आंसू क्रंदन का यहां मत कीजै व्यापार।
अन्य दिशा में मोड़िये राजनीति की धार। ।
**********261***********************
सदा गरीबों ने लड़ा लोकधर्म का युद्ध।
पर कुलीन की कोख से आये सब दिन बुद्ध। ।
**********262***************************
पूंजी पति की देखिये सूझ बूझ तरकीब।
हरे लाल के रंग में बंटता रहा गरीब। ।
**********263*****************
वैचारिक सी वामियां सिद्धांतों के पाप ।
जनमेजय को डस रहे नाप नाप कर सांप । ।
**********264********************
जनता के हाथे हबय लोकतंत्र का मान।
चला चली सब जन करी सौ प्रतिशत मतदान।।
🌻🌻🌻🌻🌻🌻265
रहा गरीबन से सदा बोटन का बेउहार।
दूबर का एकादशी मोटन का तेउहार।।
🌻🌻🌻🌻🌻🌻266
अबै गरीबन के लगी टप टप अंसुअन धार।
अइसा मा कइसा लिखी पायल कै झंकार ।।
🌻🌻🌻🌻🤗267
कत्ती घिनही लग रही राजनीति कै चाल।
कबौ उखाड़ै बार वा कबौं उधेरै खाल।।
*************268*****************
पन्नी बीनत बीत गै ज्याखर उमिर किसोर।
ओखे दुअरै कब अइ बाल दिबस कै भोर।।
🌻🌻🌻🌻🌻269🌻🌻🌻🌻🌻
जे कबहूं जानिस नही पोथी अउर सलेंट।
बूटन मा पालिस किहिस होटल घसिस पलेट।।
🌻🌻🌻🌻🌻270🌻🌻🌻🌻🌻
हिंआ ब्यबस्था खाय गै पंजीरी औ खीर।
गभुआरन के भाग मा बदी कुपोसित पीर।।
🌻🌻🌻🌻🌻271🌻🌻🌻🌻🌻
दरबारी जेही कहै बोटहाई मा नात।
पै कबहूं देखिन नही वाखर दुधिया दांत।।
🌻🌻🌻🌻🌻272🌻🌻🌻🌻🌻
हबैकुपोसित देस मा जेखर ल्यादा घींच।
ओ! बालदिबस फुरसत मिलै ता उनहूं का सींच।।
***********273************************
जातिहाई का जानिगें उइ अटकर अंदाज।
सुदिन देख ह्यराय चलें जब बिटिया का काज। ।
जब बिटिया का काज जबर है दइजा नाहर।
सुन दहेज़ का भाव थूंक न निकरै बाहर। ।
बिन दइजा के बड़ मंशी का को अपनाई।
हंस कहिन बस वोट के खातिर ही जातिहाई।।
***********274********************
वे महापुरुष से खेलते जातिवाद का खेल।
चाहे नेहरू ,भीम ,हों य सरदार पटेल। ।
**********275*********************
महापुरुष हैं देश में, राष्ट्रवाद के गर्व।
उनके नाम होने लगा जातिवाद का पर्व। ।
********276*********************
जब 'लज्जा 'की लेखनी, की खींची गई चीर।
लेते रहे ईनाम वे, रही सिसकती पीर। ।
***********277****************
जो कलबुगी पे मुखर हैं औ रूश्दी पर मौन।
उनसे जाकर पूछिये है पाखण्डी कौन। ।
***********278***************
हवन कुण्ड मागय लगा पण्डित का बलिदान।
पूजा पत्री छोड़ के पेल भगें जजमान। ।
***********278**********************
जो राष्ट्रीय पहिचान म कहू ठे होत कबीर।
तब न होत घिनहा यतर धरम केर उपचीर। ।
**********279*********************
खड़ी जलाका जेठ कै औ भै बिजली गोल।
कूलर से बिजना कहिस जान्या हमरिव मोल। ।
**********280*******************
आने वाली पीढ़ियाँ कर सकती हैं नाज़।
दृढ़ता से आतंक का जो कर सके इलाज। ।
**********281******************
चांदी कै चम्मच करै , पतरी केर दुलार।
या बरबस्ती देख के , दोनिआ परी उलार।।
**********282**************************
बड़ा अमारक जाड़ है ठठुरा है परधान।
उइं बिदुराती हईं कह 'दुइ रूई 'का उपखान।।
***********283*********************
छुरा घोंपते पेट में चढबाते परसाद।
जैसे लेखनी पूजता हो कोई जल्लाद। ।
**********284********************
राहिमाम जनता करय गुंडा हाकै राज।
मुड़धारियन के कण्ठ से निकरै नही अबाज। ।
***********285*********************
बने हितैषी घूमते , रचते नाना ढोंग।
शोषण करते जाति का स्वयं जाति के लोग। ।
**********286*******************
उनखर हिबै समाज मा सबसे लम्बी पूछ।
जे बैभव से भरे हें संवेदना से छूछ। ।
**********287***********
नफरत कै खेती करैं ,मन के रोगी लोग।
हे धनबंतर जी करा ,उनखर हिदय निरोग।।
********** 288**********
देस मा भ्रस्टाचार का, ह्वाथै यतर निदान।
जइसा जींस पहिर के काटै फसल किसान।।
******** 289 ************
ओतुन परबस्ती करा , जेतू कूबत पास।
परोपकार मा चला गा ,भोले का कैलास।।
******* 290 ***********
रहिमन पनही राखिये ,बिन पनही सब सून।
दिल्ली से देहात तक ,पनही का कानून।।
********* 291 **********
श्री राघव जू आ रहें बीते चउदह साल।
या उराव मा जलि रहे घर घर दीप मशाल।।
************292*****************
येतू दीन्हिस देस का, आभारी है हिंद ।
तउअव रोजी के निता , तरसै बपुरा बिंध । ।
************293*********************
पहिले प्रेम प्रसंग का ,खूब भा लोकाचार।
फेर ओही लुच्ची कहिस ,वा ओहि दहिजार।।
*************293******************
बिद्या का मंदिर दिहिन उंइ निकहा के लीप।
कोऊ लइगा जंगला, कोऊ सरिआ चीप।।
*************294***********************
वा कुपंथ कै देख ल्या केतू कुटिल हिआव।
आर्य द्रबिन मा भेद कइ ,बाँट रहें हें गॉव।।
*****************295********************
धन्न चनाक्य अस गुरू का ,धन्न माँ धर्मा कोख।
भारत माता का दइन , पूत महान अशोक। ।
****************296*********************
देखा केतू गहिर है लोकतंत्र का कुण्ड।
राजकुमार जयंत तक बनगे कागभुसुण्ड।।
******************297***************
कहिस कुलांचै धरम का, दिहिस आतिमा रोय।
जइसा कउनव बाप कै, बिटिआ भागी होय।।
******************298*****************
जउनै दल हेन न करी, धरम कै जय जयकार।
बामपंथ अस होइ जई, वाखर बंटाधार।।
******************299******************
राजनीत कै नीचता, देखि के जुग चउआन।
गांधी बादी देंह मा, बाम पंथ के प्रान।।
*****************300********************
तानासाही सोच का लोकतंत्र न रास।
पेटे मा अकरास ही मुंह माही उपहास।।
***************310*******************
बंदेमातरम जब कहिन, हमरे देस के पूत।
सुन बइरी थर्राय गा, दिहिस पेण्ट मा मूत।।
**************302**********************
दुनिआ माही को करी, हमरे देस कै सउज।
हर हर महादेव जब, ब्वालै आपन फउज।।
*************303*************************
मोदी हमरे देस के, स्वाभिमान परतीक।
भुट्टो कै अउकात ही, जइसा पान कै पीक।।
*************304************************
कमल नाथ जी कइ दिहिन रिन माफी एलान।
कहिस किसनमा की जना बहिला भंइस बिआन।।
****************305************************
भारत कै ही कामना, अपनव बनी नजीर।
जइसा माता इंदिरा, दिहिन "पाक" का चीर।।
****************303************************
काही है सुभ कामना , क्याखर हबय बिधंस।
नये साल का राशिफल , बांच रहे हैं हंस।।
***************304* ********************
न सामन कै हरिअरी न नदिअन मा धार।
बइठ किसनमा मेंड़ मा गदिआ धरे कपार।।
============305=================
बड़ा अमारक जाड़ है, ठठुराबय दहिजार।
साजन से सजनी कहिस, लगत्या आजु पिआर। ।
*****************306***********************
जाड़े का ओरहन दइस,भींज वास कै रात।
ता संज्ञा का छोड़ के, सुरिज कढ़ा बिदुरात।।
*****************307********************
बामपंथ अस काइंया, हबइ करोना गाज।
हमरे बइरी चीन के, ईं दूनउ उपराज।।
*****************308********************
राजनीत औ धरम का, जुगन जुगन से साथ।
अजुअव हें उइ साथ मा, भला कउन नई बात।।
******************309**************
हे जग जननी सारदे, मै मांगों कर जोर।
भारत मा सुख संच कै,पबन बहै चहुओर।।
नबा साल मा सब जने, रहैं निरोग प्रसंन्न।
सब काही रोजी मिलय, खेतन मा हो अन्न।।
****************307****************
बड़ी बड़ाई का लगै अपना का जो मोह।
ता कुछ जन का जोर के लेई बनै गिरोह।।
******************308*******************
कूकुर का कूकूर लगै, दिखय सिंह का शेर।
यातो ओछाहिल सोच ही,याकि नजर का फेर।।
******************309*******************************
सत्य अहिंसा प्रेम का गाँधी एक बिचार।
गाँधी दरसन मा हबै जीवन का सुख सार।।
********************310*****************************************
हम डिस्पोजल चाय के, उइ नेतन कस ओठ।
फिरि के पुन झांकिन नहीं, जब से परिगें बोट।।
=======================================
भारत रतन पटेल 311
आजादी के दिआ मा, भरिन जे बाती तेल।
देस करै सत सत नमन ,भारत रतन पटेल।।
312
पांच सै बांसठ राज मा, अइसा कसिन लगाम।
सब उनखे ललकार से ,लिहिन तिरंगा थाम। ।
313
सिरि सरदार पटेल कै , सूझ बूझ औ ढंग।
देख के साहस बीरता ,दुनिया रहि गय दंग।
314
गुरिआ गुरिआ गुहि दिहिन ,देस का साहुत सूत।
जय बल्लभ 'सरदार' जी, भारत रतन सपूत। ।
315
हम भारत बासी करी ,शत शत नमन अभार।
जब तक चंदा सुरिज हें, नाव चली सरदार। ।
316
शम्भू काकू
***********************************
जहां बघेली आय के, होइगै अगम दहार।
वा रिमही के शम्भू का, नमन है बारम्बार।।
317
बघेली साहित्त के, शम्भू काकू सिंध।
देह धरे गाबत रहा, मानो कबिता बिंध। ।
318
गांव गली चउपाल तक, जेखर बानी गूंज।
श्री काकू जी अमर भें, ग्राम गिरा का पूज। ।
319
लिहे घोटनी चल परैं, जब कबिता के संत।
सब कवि काकू का कहैं, रिमही केर महंत। ।
320
न चुट्कुल्ला उइ कहिन, ना अभिनय परपंच।
बड़ा मान आदर दइस,तउ कबिता का मंच। ।
321
जेखे कबिता के बिषय, आंसू आह कराह।
अच्छर फरयादी बने, काकू खुदै गबाह। ।
322
कबिता का पेसा नहीं, जेखे कबहूं चित्त।
बिन्ध्य लिलारे मा, लिखे, काकू केर साहित्त। ।
323
आंखर आंखर मा बसय,काकू कै कहनूत।
हंस बंदना कइ रहा, धन्न बघेली पूत। ।
**************************************
324
बब्बा जी कीन्हिन रहा खसरा केर अपील।
नाती तक पेसी चली बिदुराथी तहसील।।
**************************************
325
भारत के इतिहास मा आबा अइसा बक्त।
महबूबा तक बन गयीं महादेव कै भक्त।।
******************** हेमराज हंस