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शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : मातु शारदे हे मातु शारदे सम्बल दे तै निर्बल छिनी म...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : मातु शारदे हे मातु शारदे सम्बल दे तै निर्बल छिनी म...: मातु शारदे  हे मातु शारदे सम्बल दे तै निर्बल छिनी मनंगा का।  मोरे देस कै शान बढ़ै औ बाढ़ै मान तिरंगा का। ।  दिन दिन दूना होय देस मा ...

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा।: शौचालय बनवाबा  शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा।  अपने घर के बड़मंशी का बहिरे न बगवाबा। ।                                  हमरी  ...

गुरुवार, 15 अक्टूबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : मातु शारदे हे मातु शारदे सम्बल दे तै निर्बल छिनी म...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : मातु शारदे हे मातु शारदे सम्बल दे तै निर्बल छिनी म...: मातु शारदे  हे मातु शारदे सम्बल दे तै निर्बल छिनी मनंगा का।  मोरे देस कै शान बढ़ै औ बाढ़ै मान तिरंगा का। ।  दिन दिन दूना होय देस मा ...

मातु शारदे 

हे मातु शारदे सम्बल दे तै निर्बल छिनी मनंगा का। 
मोरे देस कै शान बढ़ै औ बाढ़ै मान तिरंगा का। । 

दिन दिन दूना होय देस मा लोक तंत्र मजबूत। 
घर घर बिटिया विदुषी हो औ लड़िका होय सपूत। । 
विद्वानन से सभा सजै औ पतन होय हुरदंगा का। 

'वसुधैव कुटुम्बम 'केर भावना बसी रहय सबके मन मा। 
औ परबस्ती निता ललायित रहै कामना जन जन मा। । 
देस प्रेम कै जोत जुगै  कहूँ मिलै ठउर न दंगा का। 

खेलै पढ़ै बढ़ै विद्यार्थी रोजी मिलै जवानन का। 
रोटी औ सम्मान मिलै घर घर बूढ़ सयानन का। । 
'रामेश्वरम मा चढ़त रहै जल गंगोतरी के गंगा का। 
हेमराज हंस -----9575287490  


शुक्रवार, 25 सितंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : 'अन्त्योदय' के मंत्र हें पंडित दीनदयाल। । हेमराज...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : 'अन्त्योदय' के मंत्र हें पंडित दीनदयाल। । हेमराज...: गाहिंज करै गरीब कै करय दीन का ख्याल।  'अन्त्योदय' के मंत्र हें पंडित दीनदयाल। ।  हेमराज हंस

'अन्त्योदय' के मंत्र हें पंडित दीनदयाल। । हेमराज हंस

गाहिंज करै गरीब कै करय दीन का ख्याल। 
'अन्त्योदय' के मंत्र हें पंडित दीनदयाल। । 
हेमराज हंस

शुक्रवार, 18 सितंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे टोरिअन काही खाये जा थै दइया रे।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे टोरिअन काही खाये जा थै दइया रे।:              बिटिया  ठुम्मुक ठुम्मुक जाथी  स्कूले ड्रेस पहिर के बइया रे।  टाँगे बस्ता पोथी पत्रा बिटिया बनी पढ़इया रे। ।  खेलै चन्द...

हमरे टोरिअन काही खाये जा थै दइया रे।

             बिटिया 

ठुम्मुक ठुम्मुक जाथी  स्कूले ड्रेस पहिर के बइया रे। 
टाँगे बस्ता पोथी पत्रा बिटिया बनी पढ़इया रे। । 

खेलै चन्दा, लगड़ी, गिप्पी, गोटी, पुत्ता -पुत्ती  । 
छीन भर मा  मनुहाय जाय औ छिन भर माही कुट्टी। । 
बिट्टी लल्ला का खिसबाबै ''लोल बटाइया रे''। । 

ठउर लगाबै अउजै परसै करै चार ठे त्वारा। 
कहू चढ़ी बब्बा के कइयां कहु अम्मा के क्वारा। । 
जब रिसाय ता पापा दाकै पकड़ झोठइया रे। 

बिन बिटिया के अंगना अनमन घर बे सुर कै बंसी। 
बिटिया दुइ दुइ कुल कै होतीं मरजादा बड़मंसी। । 
हमरे टोरिअन काही  खाये जा थै दइया रे। 

भले नही भइ भये मा स्वाहर पै न माना अभारु। 
लड़िका से ही ज्यादा बिटिया ममता भरी मयारू। । 
पढ़ी लिखी ता बन जई टोरिया खुदै सहय्याँ रे। 

कन्यन कै होइ रही ही हत्या बिगड़ि  रहा अनुपात। 
यहै पतन जो रही 'हंस ' ता कइसा सजी बरात। । 
मुरही कोख से टेर लगाबै बचा ले मइया रे। । 
हेमराज हंस --9575287490 
(आकाशवाणी रीवा से प्रसारित )         

रविवार, 6 सितंबर 2015

बघेली नही ता अब वा ओरहन देई पं दीनदयाल से। ।

बघेली मुक्तक 

आबा भाई आँसू पोंछी पचके पचके गाल से।  
नही ता अब वा ओरहन देई पं दीनदयाल से। ।
टूट बडेरी अस जिंदगानी पाछू बइठ समाज के 
अजुअव ओढ़काबा है  टटबा जेखे सत्तर साल से। । 
हेमराज हंस   

BAGHELI वा लोकतंत्र का मंदिर औ विश्वास आय।

बघेली मुक्तक 

वा लोकतंत्र का मंदिर औ विश्वास आय। 
समाज का चित्र औ वहै इतिहास आय। । 
ओका दूध से भरा चाह दारू से 
आपन सदन त एक गिलास आय। । 
हेमराज हंस 

सोमवार, 24 अगस्त 2015

नाच रही ही दुलदुल घोड़ी

नाच रही ही दुलदुल घोड़ी 

नाच रही ही दुल दुल घोड़ी। 
मँहगाई गुंडई कै जोड़ी। । 
अच्छे दिन केत्ती दूरी हें 
पूछ रही पापा से मोड़ी। । 
हेमराज हंस  

रविवार, 16 अगस्त 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli kavitaआबा मुखिया जी स्वागत है

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli kavitaआबा मुखिया जी स्वागत है: आबा  मुखिया जी स्वागत है  आबा मुखिया जी स्वागत है।   शारद मइया कै धर्म भूमि।  य 'बाबा 'जी कै कर्म भूमि। ।  भुइ गोलामठ औढरद...

bagheli kavitaआबा मुखिया जी स्वागत है

आबा  मुखिया जी स्वागत है 

आबा मुखिया जी स्वागत है। 
 शारद मइया कै धर्म भूमि। 
य 'बाबा 'जी कै कर्म भूमि। । 
भुइ गोलामठ औढरदानी कै  । 
सम्पत तेली बलिदानी कै। । 
मुड़िया बाबा के धूनी मा 
बंदन अभिनन्दन शत शत है। । 
आबा मुखिया जी स्वागत है। । 
हेन ही मिल्लस कै परिपाटी। 
पुरवा ,ओइला ,गणेश घाटी। । 
औ रामपुर के राधा किशना। 
दर्शन से मिटै धृणा तृष्णा। । 
बड़ा अखाडा मा मनस्वनी 
कै पयस्वनी निकरत है। । 
आबा ---------------------
या विंध्य द्धार लेशे है कलश। 
पानी लये कलकल बहै टमस। । 
जब से ठगि के गें हें कुम्भज। 
ता विंध्य का निहुरा है गुम्मच  । । 
गुरू अगस्त के निता झुका है 
या अटल  झुकेही  का ब्रत है। । 
आबा मुखिया ----------------

हेमराज हंस -9575287490 













कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।

कीर्तिमान निश  दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।  जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।।  आये   नया   बिहान   शारदा   के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके  ...