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शनिवार, 9 जनवरी 2016

bagheli doha

गाँव गाँव आमै लगा जबसे य अख़बार। 
मिर्रा तक जानैं लगा सब आपन अधिकार। । 
हेमराज हंस 
जय हिन्द 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : दसइयां पिछ्ले चुनाव कै अद्धी गिनाउथै। । हेमराज हँ...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : दसइयां पिछ्ले चुनाव कै अद्धी गिनाउथै। । हेमराज हँ...:                   बघेली मुक्तक  ------------------------------- कोऊ आपन उपलब्धी गिनाउथै।  कोउ आपन राज गददी गिनाउथै।  ।  रटे है वा मुख...

दसइयां पिछ्ले चुनाव कै अद्धी गिनाउथै। । हेमराज हँस

                  बघेली मुक्तक 
-------------------------------
कोऊ आपन उपलब्धी गिनाउथै। 
कोउ आपन राज गददी गिनाउथै। । 
रटे है वा मुखागर की को को रात के आबा 
दसइयां पिछ्ले चुनाव कै अद्धी गिनाउथै। । 
हेमराज हँस 

मंगलवार, 5 जनवरी 2016

BAGHELI-कब तक होई फुरा जमोखी। ।

केतू भाई अबै समोखी। 
कब तक होई फुरा जमोखी। । 
उइं मारय हमरे जमान का 
औ हम बुद्ध कै शिक्षा घोखी। । 
हेमराज हंस 

दोस्ती के नाम पे ग़द्दारी की है। ।

जब जब हमने यारी की है। 
तो  उसने मक्कारी की है। । 
चाहे हो कारगिल य पठानकोट 
दोस्ती के नाम पे ग़द्दारी की है। । 
हेमराज हँस

रविवार, 3 जनवरी 2016

शुक्रवार, 1 जनवरी 2016

हम दयन नये साल कै बधाई। हेमराज हँस

हम दयन नये साल कै बधाई। 
फलाने कहिन तोहई लाज नही आई। । 
कुटिआ के खुंटिआ का कलेण्डर बदला है 
पै अबहूँ धरी ही टुटही चार पाई। । 
हेमराज हँस 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : द्याखा भइलो ताज महल औ चित्र इंडिया गेट के । ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : द्याखा भइलो ताज महल औ चित्र इंडिया गेट के । ।: दरबारन मा चर्चा ही कम्पूटर इंटरनेट के।   खरिहनन मा मरै किसनमा फन्दा गरे लपेट के ।   ।   प्रेमचन्द के होरी का उइं उँगरी धरे बताउथें  द्या...

बुधवार, 30 दिसंबर 2015

द्याखा भइलो ताज महल औ चित्र इंडिया गेट के । ।

दरबारन मा चर्चा ही कम्पूटर इंटरनेट के।  
खरिहनन मा मरै किसनमा फन्दा गरे लपेट के।  ।  
प्रेमचन्द के होरी का उइं उँगरी धरे बताउथें 
द्याखा भइलो ताज महल औ चित्र इंडिया गेट के ।  ।  
हेमराज हंस   

सोमवार, 28 दिसंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे लोकतंत्र का पियक्कड़ समझा थें। । हेमराज हँस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे लोकतंत्र का पियक्कड़ समझा थें। । हेमराज हँस: बघेली मुक्तक  उइ कुरसी का खेल  अक्कड़ बक्कड समझा थें।  जनता का निगबर फक्कड़ समझा थें। ।  चले आउ थें बेशर्मी से बोतल लये बस्ती मा  हमरे लो...

हमरे लोकतंत्र का पियक्कड़ समझा थें। । हेमराज हँस

बघेली मुक्तक 
उइ कुरसी का खेल  अक्कड़ बक्कड समझा थें। 
जनता का निगबर फक्कड़ समझा थें। । 
चले आउ थें बेशर्मी से बोतल लये बस्ती मा 
हमरे लोकतंत्र का पियक्कड़ समझा थें। । 
हेमराज हँस 

शनिवार, 26 दिसंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अब 'बाबा जी 'बात करा थें चमनप्रास कै। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अब 'बाबा जी 'बात करा थें चमनप्रास कै। ।: बघेली मुक्तक  देस टकटकी लगाये है काले धन के आस कै।  अब 'बाबा जी 'बात करा थें चमनप्रास कै।  ।  घुटकी भर खाय के दिल्ली डकारा थी  ...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli sahitya भले जीभ दार है पै मकुना मउना है।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli sahitya भले जीभ दार है पै मकुना मउना है।: bagheli muktak  भले जीभ दार है पै मकुना मउना है।  एहिन से  ओही सइघ नही अउना पउना है। ।  पड़बा है काहे दूबर य बात दिल्ली जाना थी  दु...

अब 'बाबा जी 'बात करा थें चमनप्रास कै। ।

बघेली मुक्तक 
देस टकटकी लगाये है काले धन के आस कै। 
अब 'बाबा जी 'बात करा थें चमनप्रास कै। । 
घुटकी भर खाय के दिल्ली डकारा थी 
देस का बताउथी महातिम उपास कै। । 
हेमराज हंस ---9575287490 

कीर्ति बिटिया माँ बनी

 कीर्ति बिटिया माँ बनी, हरी भरी हुई गोद।  परिजन हैं उल्लास में, सबके मन में मोद।।  आशा दसमी शुभ तिथि, सुदी का स्वाति नक्षत्र।   दो हज्जार  ब...